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________________ दशवेकालिकसूत्रम् लोभस्सेसणुफासे मन्त्रे अन्नयरामवि । जे सिया सन्निही कामे गिही पवइए न से ॥ १९ ॥ जं पि वत्थं व पायं वा कम्बलं पायपुञ्छणं । तं पि संजम - लज्जा धारेन्ति परिहरन्ति य ॥ २० ॥ न सो परिग्गही वृत्ती नायपुत्रेण ताइणा ॥ ,, मुच्छा परिग्गहो वुत्तो" इइ वुत्तं महेसिणा ॥ २१ ॥ सङ्घत्युवहिणा बुद्धा संरक्खण-परिग्गहे । अवि अप्पणो वि देहम्मि नायरन्ति ममाइयं ॥ २२ ॥ अहो निचं तवो-कम्मं सङ्घ-बुद्धेहि वणियं । जय लज्जा-समा वित्ती एग भत्तं च भोयणं ॥ २३ ॥ सन्तिमे सुहुमा पारणा तसा अदुव थावरा । जाई राओ अमासन्ती कहमेसणियं चरे ? ॥ २४ ॥ उदओल्लं बीय-संसत्तं माणा निर्बंडिया महिं । दिया ताई विवज्जेज्जा, राओ तत्थ कहं चरे ? ॥ २५ ॥ एयं च दोसं ददृणं नायपुत्त्रेण भासियं । ३६ सवाहारं न भुञ्जन्ति निग्गन्था राई भोयां ॥ २६ ॥ पुढविकायं न हिंसन्ति मणसा वयस कायसा । तिविहेण करण- जोएण संजया सु-समाहिया ॥ २७ ॥ पुढविकायं विहिंसन्तो हिंसई उ तयस्सिए । तसे य विविहे पाणे चक्खसे य अचक्खसे ॥ २८ ॥ १ B फासो. Hand Avach. निवडि° (निपतिता:). [अ० ६ २ जाव ल° H. ४ s रायभो°.
SR No.002354
Book TitleDasveyaliya Sutta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorErnst Leumann, Walther Schubrin
PublisherAnandji Kalyanji Pedhi
Publication Year1932
Total Pages142
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size11 MB
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