________________
अ० ४]
दशवेकालिकसूत्रम्
जया सर्व्वत्त-गं नाणं दंसणं चाभिगच्छई । तया लोगमलोगं च जिणो जाणइ केवली ॥ २२ ॥ जया लोगमलोगं च जिणो जाणइ केवली । तया जोगे निरुम्भित्ता सेलेसिं पडिवज्जई ॥ २३ ॥ जया जोगे निरुम्भिता सेलेसिं पडिवज्जई । तया कम्मं खवित्ताणं सिद्धिं गच्छइ नीरओ ॥ २४ ॥ जया कम्मं खवित्ताणं सिद्धिं गच्छइ नीरओ । तया लोग-मत्थय-त्थो सिद्धो भवइ सासओ ॥ २५ ॥ सुह- सायगस्स समणस्स सायाउलगस्स निगामसाइम्स । उच्छीणा-पहोइस्स दुलहा सोग्गइ तारिसगस्स ॥ २६ ॥ वी-गुण- पहाणस्स उज्ज - मइ खन्ति-संजम - रयस्म । परीसहे जिणन्तस्स सुलहा सोग्गइ तारिसगस्म ॥ २७ ॥ ' (पच्छा वि ते पयाया खिप्पं गच्छन्ति अमर-भवणाई । जेसिं पी उ तवो संजमो य खन्ती य बम्भचेरं च ॥) इच्चेयं छज्जीवणियं सम्महिठ्ठी सया जए । दुलहं लभित्तु सामसं कम्मुखा न विराहेज्जासि ॥ २८॥
॥ त्ति बेमि ॥
१ B. तव.
This sloka only in B and in the Avachuri.
२
2