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४०० पुस्तकोमा द्रव्य सहायकपूज्यपाद स्व. मुनिवर्यश्री अमीविजयजी महाराजना शिष्यरत्न पूज्यपाद आचार्यदेव स्व. विजयक्षमाभद्रसूरीश्वरजी महाराजना शिष्यरत्न पू. मुनिवरश्री माणेकविजयजी महाराजना सदुपदेशथी श्री अजीतगाम (मारवाड) ना देरासरजीनी थयेली प्रतिष्ठा (वि. सं. २०१४-मागसर सुद ६) नी यादगीरी निमित्ते (अजीतगाम संघ तरफथी शेठ सोनराजजी, शेठ सरदारमलजी शेठ चीमनीरामजी, शेठ वच्छराजजी तथा शेठ दलीचंदजी)
-प्रकाशकः
द्वितोय - आवृत्तिनुं - प्रकाशकीय निवेदन'श्री श्रुतज्ञान अमीधारा' स्वाध्यायग्रंथनी आ बीजी आवृत्ति बावीस वर्षना आंतरे बहार पडे छे.
घणो ज हर्ष थाय छे के घणा समयथी दुर्लभ बनेलो आ ग्रंथ आजे अमे तत्त्वपिपासु अने स्वाध्यायरसिक भव्यात्माओनी समक्ष रजु करी शकीए छीए ।
आ ग्रंथना प्रकाशनमा जो कोइए अगत्यनो भाग भजव्यो होय तो ते छे पूज्यपाद मुनिराजश्री अमीविजयजी महाराजना शीष्यरत्न पं. श्री भक्तिविजयजी गणिवर ।