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[ १० ] श्री उपधान तप मालारोपण समारोह कात्तिक (मागसर) वद १० बुधवार दिनांक २२-११-८६ के दिन प्रातः विशाल मण्डप में परमपूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. की शुभ निश्रा में, पूज्य पंन्यास श्री रत्नाकर विजयजी म. तथा पूज्य पंन्यास श्री कुन्दकुन्द विजयजी म. आदि के सान्निध्य में एवं विशाल जैन-जैनेतर समुदाय की उपस्थिति में, श्री जिनेश्वर भगवान को चार मूर्तियों से समलंकृत समवसरण यानी नारण समक्ष विधिपूर्वक श्री उपधान तप मालारोपरण आदि का कार्य परम शासन प्रभावनापूर्वक सुसम्पन्न हुआ । उस समय वयोवृद्ध श्रीमान् कालूरामजी भाई ने सजोड़े ब्रह्मचर्य व्रत भी विधिपूर्वक उच्चरा ।
दोपहर में बृहद्शान्तिस्नात्र (अष्टोत्तरी शान्तिस्नात्र) उपधान कराने वाले श्रीमान् मोतीलालजी कुन्दनमलजी आदि अम्बावत परिवार की ओर से विधिपूर्वक पढ़ाया गया और श्रीसंघ का स्वामिवात्सल्य भी उनकी तरफ से हुआ।
शाम को परम पूज्य आचार्य महाराज श्री ने अपने
... मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-३१७