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जिनमूत्ति महिमा का गीत 5
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नाम है तेरा तारणहारा कब तेरा दर्शन होगा ? जिनकी प्रतिमा इतनी सुन्दर, वो कितना सुन्दर होगा ।। सुरवर मुनिजन जिनके चरणे,
निशदिन शीर्ष झुकाते हैं ।
जो गाते हैं प्रभु की महिमा,
वे सब कुछ पा जाते हैं ।
अपने कष्ट मिटाने को,
तेरे चरणों में वन्दन होगा || जिनकी प्रतिमा० ( १ )
तुमने तारे लाखों तारे लाखों प्राणी,
ये सन्तों की वाणी है ।
दीवानी है
मन्दिर में मङ्गल होगा ॥ जिनकी प्रतिमा० (२)
तेरी छवि पर मेरे भगवन् !
ये भूम-झूम तेरी पूज रचाये,
दुनिया
मन की मुरादें लेकर स्वामी, सिद्धचक्र मण्डल के बालक,
तेरे ही गुण गाते हैं ।
तेरे ही गुण गाते हैं
जग से पार उतरने को,
तेरे गीतों का सरगम होगा ॥ जिनकी प्रतिमा० (३)
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मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता - २१६