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________________ 5 जिनमूत्ति महिमा का गीत 5 1 नाम है तेरा तारणहारा कब तेरा दर्शन होगा ? जिनकी प्रतिमा इतनी सुन्दर, वो कितना सुन्दर होगा ।। सुरवर मुनिजन जिनके चरणे, निशदिन शीर्ष झुकाते हैं । जो गाते हैं प्रभु की महिमा, वे सब कुछ पा जाते हैं । अपने कष्ट मिटाने को, तेरे चरणों में वन्दन होगा || जिनकी प्रतिमा० ( १ ) तुमने तारे लाखों तारे लाखों प्राणी, ये सन्तों की वाणी है । दीवानी है मन्दिर में मङ्गल होगा ॥ जिनकी प्रतिमा० (२) तेरी छवि पर मेरे भगवन् ! ये भूम-झूम तेरी पूज रचाये, दुनिया मन की मुरादें लेकर स्वामी, सिद्धचक्र मण्डल के बालक, तेरे ही गुण गाते हैं । तेरे ही गुण गाते हैं जग से पार उतरने को, तेरे गीतों का सरगम होगा ॥ जिनकी प्रतिमा० (३) ד मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता - २१६
SR No.002340
Book TitleMurti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1990
Total Pages348
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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