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क्र. सं.
विषय
९८ प्रभु की पूजा १६ प्रभु के दर्शन-पूजन से प्रष्ट कर्म का क्षय २० मूर्ति को नहीं मानने से नुकसान २१ जिनमन्दिरों की उपयोगिता २२ चैत्य शब्द का वास्तविक अर्थ
२३ जिनमूत्ति - जिनप्रतिमा कैसी है और क्या करती
कराती है ?
२४ शुभालम्बन से आत्मभाव में अशुद्धता और शुभालम्बन से शुद्धता
२५ सगुण से निर्गुण और साकार से निराकार २६ जिनमूर्ति की पूजादिक से रोगादिक का दूरीकरण और अनुपम लाभ
२७ जिनमूर्तिपूजा में हिंसासम्बन्धी शंका और समाधान २८ मूर्ति की वन्दनीयता एवं पूजनीयता के
शास्त्रीय प्रमाण
में दानादि चार धर्मों की आराधना
5 शिव (शंकर) पार्वती संवाद
5 जिनमूत्तियों तथा जिनमन्दिरों को बनवाने वाले भूतकाल 'के भाग्यशाली महापुरुष * दर्शनपाठ
* प्रार्थनामङ्गलम् 5 स्तुति-चौबीसी 5 श्री चतुर्विंशति जिनस्तुति
* श्री जिनपूजादि चैत्यवन्दनादि फल
* श्री शाश्वता - प्रशाश्वता जिन चैत्यवन्दन
5 श्री जिनबिम्ब स्थापना- स्तवन
( १८ )
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