________________
निवेदन.
विद्वानोना करकमलमां श्रीआत्मानंद-जैन-शताब्दि-सिरीझनुं बीजं पुस्तक प्राकृतव्याकरण मूल अष्टमाध्याय समर्पण करतां परम प्रमोद थाय छे.
आ प्राकृत व्याकरणना रचयिता सुप्रसिद्ध महान् तत्त्ववेत्ता कलिकालसर्वज्ञ, कुमारपालभूपालप्रतिबोधक, भगवान् श्रीहेमचंद्राचार्य महाराज छे. एओश्रीए पंचांगीपूर्ण सपाद लक्ष परिमित संस्कृत-प्राकृतव्याकरण बनान्युं छे.
परममाननीय विद्वद्वर्य श्रीयुत पाणिनि महर्षिए वैदिक प्रयोगो साधवा माटे पोताना पाणिनि व्याकरणमां ज्यारे वैदिक प्रक्रिया राखी छे त्यारे श्रीहेमचंद्रसूरिजीए जैन आगम ग्रंथोना प्राकृत-मागधीभाषाना प्रयोगो सिद्ध करवा पोताना सिद्धहैमशब्दानुशासन व्याकरणमां
आ प्राकृत व्याकरणना नामथी खतंत्र आठमो अध्याय रच्यो छे. अष्टाध्यायीमां सात अध्याय तो संस्कृतना रच्या छे अने केवल माठमामा छए भाषाना शब्दो सिद्ध थाय