________________
KARAN
जिनदर्शनविधि
Lwwwwwwwwwww
जगत् में जिन प्रात्माओं ने इस प्रसार संसार के आवागमन से मुक्ति प्राप्त करने के लिए अनुपम धर्ममार्ग बताया है ऐसे अरिहन्त भगवन्तों को और जिन आत्माओं ने उस अनुपम धर्ममार्ग को सही रूप सम्पूर्णपने अपनाकर इस असार संसार के आवागमन से मोक्ष प्राप्त कर लिया है ऐसे सिद्ध भगवन्तों को, तथा जो आत्माएँ उस अनुपम धर्ममार्ग को स्वयं अपना करके एवं दूसरों से भी अपनाने की जिनवारणी द्वारा शुभ प्रेरणा करके इस प्रसार संसार के आवागमन से मुक्त होने का भगीरथ पुरुषार्थ कर रही हैं ऐसे प्राचार्य महाराजा, उपाध्याय महाराजा और साधुमहाराजा के जिनवचन रूप कथनानुसार उत्तम जीवन जीने का प्रयत्न करने वाले 'जैन' हैं। यह जैन शब्द गुणवाचक है, जातिवाचक या व्यक्तिवाचक नहीं है । जिन्होंने प्रात्मा के अभ्यन्तर शत्रु राग-द्वषादि जीते हैं, वे 'जिन' कहलाते हैं।