________________
२५-५-८६ के दिन प्रातः सादड़ी से संघ के साथ विहार कर श्री राणकपुरजी तीर्थ में पधारे जैनधर्मदिवाकर परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. आदि मुनिवृन्द का, साध्वी समुदाय का तथा संघपति वगैरह का जैनपेढ़ी द्वारा स्वागत हुआ। देवाधिदेव श्री ऋषभदेव भगवान आदि सर्व जिनबिम्बों के दर्शनादि होने के बाद मंगल प्रवचन हुआ। दोपहर में दादा के दरबार में प्रभावना युक्त पूजा पढ़ाई गई तथा रात को भावना हुई।
६. वैशाख (ज्येष्ठ) वद ६ शुक्रवार दिनांक २६-५-८६ के दिन प्रातः शुभ मुहूर्त में पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. की शुभ निश्रा में संघपति श्रीमान् धनराजजी हिम्मतमलजी राठौड़ आदि को विधिपूर्वक संघमाला (तीर्थमाला) नाण समक्ष चतुर्विध संघ की उपस्थिति में पहनाने में आई। पूजा तथा स्वामीवात्सल्य का कार्य भी हुआ। बाद में संघपति द्वारा बसों के साधन से संघ ढालोप की तरफ रवाना हुआ ।
* सातम के दिन प्रातः दादा के दर्शनादि करके पूज्यपाद प्रा. म. सा. यादि श्री राणकपुर तीर्थ से विहार