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________________ पधारे। संघ को स्कूल में उतारा गया, वहीं पर पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. का प्रभाविक मंगल प्रवचन हुआ तथा श्री वर्द्धमान तप की ५८वीं अोली का भी पारणा हुआ । प्रभुपूजा और रात को भावना का कार्यक्रम रहा। * उसी तरह वद एकम् के दिन इन्द्रोका गाँव में भी स्कूल में उतारा रहा। वहाँ पर भी जिन प्रवचन, प्रभुपूजा और रात को भावना का कार्यक्रम रहा । * कात्तिक [मागशर] वद-२ शुक्रवार दिनांक २५-११८८ के दिन वालरवा में जिनमूत्ति का दर्शन करके तिवरी गाँव पधारते हुए । तिवरी संघ की ओर से पूज्यपाद आचार्य म. सा. आदि चतुर्विध संघ का स्वागत हुआ। वहाँ पर भी जिनप्रवचन, प्रभुपूजा और रात को भावना का कार्यक्रम रहा। उसी दिन राजस्थान-दीपक परम पूज्य आचार्य म. सा. ने अपनी निर्मल दीक्षा का ५७ वाँ वर्ष पूर्ण करके ५८ वें वर्ष में मंगल प्रवेश किया । * वद त्रीज के दिन गोपालसरी गाँव में पधारकर स्कूल में उतारा किया। वहाँ पर भी जिनप्रवचन, प्रभुपूजा और रात को भावना का कार्यक्रम रहा । ( २ )
SR No.002338
Book TitleJinmandiradi Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri, Ravichandravijay
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1997
Total Pages220
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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