SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ११ ) विषय १५. देव- गुरु गीत १६. आध्यात्मिक आत्मबोध गीत १७. आध्यात्मिक आत्मबोध गीत १८. प्रभु पार्श्व वन्दना १६. प्रभु प्रार्थना २०. प्रभु-स्तुति २१. श्री जिनेश्वर भगवान २२. जिनाज्ञा २३. प्रभु की मूर्ति क्या करती है। २४. श्रावक की दिनचर्या २५. श्रावक जीवन के कर्त्तव्य • वि. सं. २०४५ में अनुपम शासन प्रभावना १. श्री प्रोसियांजी तीर्थ में प्रवेश और संघमाला २. श्री गांगाणी - कापरड़ाजी तीर्थ की यात्रा ३. साथीन गाँव में प्रवेश और प्रतिष्ठा महोत्सव ४. जोधपुर में प्रवेश और नूतन ध्वजारोहण५. पाली में प्रवेश और नूतन ध्वजारोहण ६. श्री वरकारणा तीर्थ में पौष दशमी ७. श्री फतेहनगर में प्रवेश और प्रतिष्ठा महोत्सव 1 पृष्ठ संख् १२३-१२४ १२५-१२६ १२७-१२८ १२६-१३० १३१ १३२ १३३ १३६ १३८ १४१-१४३ १४४-१४८ ११ १३ १६
SR No.002338
Book TitleJinmandiradi Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri, Ravichandravijay
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1997
Total Pages220
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy