________________
1. जैन नीति का आधार :
सम्यग्दर्शन 2. सम्यग्दर्शन का स्वरूप और _ नैतिक जीवन पर उसके प्रभाव 3. नैतिक आरोहण का प्रथम चरण : ___ व्यसनमुक्त जीवन 4. जैन दर्शन सम्मत-व्यावहारिक
नीति के सोपान 5. नैतिक उत्कर्ष : श्रावक की
आचार नीति 6. नैतिक चरम : श्रमणाचार 7. आत्म-विकास की मनोवैज्ञानिक
नीति :
गुणस्थान