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________________ समय-समय पर कई बार जीर्णोद्धार हुए । गाँव मन्दिर नया समवसरण मन्दिर व दादावाड़ी है । इनके में वर्तमान चरण पादुकाओं पर सं. 1645 वैशाख अतिरिक्त जल मन्दिर के पास ही एक विशाल दिगम्बर शुक्ला 3 का लेख उत्कीर्ण है । हो सकता है, जीर्णोद्धार मन्दिर है । के समय नये चरण प्रतिष्ठित किये गये हों। आज तक कला और सौन्दर्य * जल मन्दिर की निर्माण यहाँ असंख्य मुनिगण व भक्तगण दर्शनार्थ आये हैं, शैली का जितना वर्णन करें कम है । कमल के फूलों जिनका विवरण सम्भव नहीं। प्रारम्भ से दीपावली के से लदालद भरे सरोवर के बीच इस मन्दिर का दृश्य अवसर पर प्रभु के निर्वाणोत्सव का मेला लगता है । देखने मात्र से भगवान महावीर का स्मरण हो आता पहिले यह मेला पाँच दिन का होता था। जिनप्रभसूरिजी। है । जल मन्दिर में प्रवेश करते ही मनुष्य सारे बाह्य ने अपने विविध तीर्थ कल्प में लिखा है कि चातुर्वाणिक वातावरण भलकर प्रभ भक्ति में अपने आपको भूल लोग यात्रा महोत्सव करते हैं । उसी एक रात्रि में जाता है - ऐसा शुद्ध व पवित्र वातावरण है यहाँ का। देवानुभाव से कुएँ से लाए जल से पूर्ण दीपक में तेल अन्य श्वेताम्बर व दिगम्बर मन्दिरों में प्राचीन के बिना दीपक प्रज्वलित होता है । श्वेताम्बर समुदाय कलात्मक प्रतिमाओं के दर्शन होते हैं । नवीन समवसरण का मेला कार्तिककृष्णा अमावस्या को होता है उसी रात्रि मन्दिर अती ही रचनात्मक ढंग से बना है जिसकी पूर्ण के अन्तिम पहर में लड्डु चढ़ाते हैं । रुप रेखा व योजना प. पू. गछाधिपति आचार्य भगवंत (दिगम्बर मान्यतानुसार प्रभु कार्तिककृष्णा चतुर्दशी श्रीमद् विजय रामचन्द्रसूरिजी की है । प्रतिष्ठा भी उन्ही के रात्रि के अन्तिम पहर में निर्वाण प्राप्त हुए । अतः । के पावन निश्रा में हुई थी । वे लोग उक्त रात्रि को लड्डु चढ़ाते हैं व उत्सव मार्ग दर्शन * यहाँ से रेल्वे स्टेशन पावापुरी रोड़ मनाते हैं)। 10 कि. मी. वख्तीयारपुर 44 कि. मी. व नवादा 23 विशिष्टता * त्रिशलानन्दन त्रैलोक्यनाथ चरम कि. मी. दूर हैं । सभी जगहों पर टेक्सी व तीर्थंकर श्री महावीर भगवान की निर्वाण भूमि रहने के बस की सुविधा है । नजदीक का बड़ा गाँव बिहार कारण इस पवित्र भूमि का प्रत्येक कण पूज्यनीय है सरीफ 15 कि. मी. है । बिहार सरीफ - राँची नेशनल हाईवे रोड़ पर यह तीर्थ स्थित है । मुख्य सड़क से प्रभु वीर की अन्तिम देशना इस पावन भूमि में हुई लगभग एक कि. मी. है । धर्मशाला तक व सारे थी । अतः यहाँ का शुद्ध वातावरण आत्मा को परम । मन्दिरों तक कार व बस जा सकती है । गाँव में शान्ति प्रदान करता है । बस व टेक्सी का साधन है । दीपावली त्योहार मनाने की प्रथा महावीर भगवान सुविधाएँ * ठहरने के लिये गाँव के मन्दिर व नये के निर्वाण दिवस से यहीं से प्रारम्भ हुई । समवसरण श्वेताम्बर मन्दिर में सर्व सुविधायुक्त कमरों __भगवान महावीर की प्रथम देशना भी यहीं पर हुई व जेनरेटर आदि की सुविधा है । गाँव के मन्दिर की मानी जाती है । उस स्थान पर नवीन सुन्दर धर्मशाला में भोजनशाला भी हैं । दिगम्बर मंदिर के समवसरण के मन्दिर का निर्माण हुआ है । यह भी __पास दिगम्बर धर्मशाला भी है, जहाँ भी भोजनशाला के मान्यता है कि इन्द्रभूति गौतम का प्रभु से यहीं प्रथम साथ सारी सुविधाएँ हैं । मिलाप हुआ था जिससे प्रभावित होकर प्रभु के पास पेढ़ी * 1. श्री जैन श्वेताम्बर भन्डार तीर्थ पावापुरी दीक्षा ली व प्रथम गणधर बने । कल्पसूत्र में भी पोस्ट : पावापुरी- 803 115. जिला : नालन्दा, इसका विस्तार पूर्वक वर्णन है । (दिगम्बर मान्यतानुसार प्रान्त : बिहार, फोन : 06112-74736. प्रथम देशना व इन्द्रभूति श्री गौतम स्वामी का मिलाप 2. श्री दिगम्बर तीर्थ कमीटी, पावापुरी राजगृही बताया है)। पोस्ट : पावापुरी - 803 115. अन्य मन्दिर * गाँव का मन्दिर व जल मन्दिर इन दो श्वेताम्बर मन्दिरों के अतिरिक्त वर्तमान में यहाँ पर पुराना समवसरण मन्दिर, महताब बीबी मन्दिर व
SR No.002330
Book TitleTirth Darshan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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