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श्री बाहुबली तीर्थ
तीर्थाधिराज * श्री बाहुबली भगवान, खड्गासन मुद्रा में, श्वेत वर्ण, लगभग 8.5 मीटर (28 फुट)। तीर्थ स्थल * छोटी सी पहाड़ी की ओट में ।
प्राचीनता * कहा जाता है लगभग साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व एक प्रकाण्ड दिगम्बर आचार्य ने यहाँ पर घोर तपश्चर्या की थी । पहाड़ पर कुछ प्राचीन मन्दिर भी हैं । इस नूतन मन्दिर की प्रतिष्ठापना परम पूज्य 108 आचार्य श्री समन्तभद्रजी महाराज की निश्रा में दिनांक 8.2.1963 को सम्पन्न हुई थी ।
विशिष्टता * कहा जाता है यह अनेकों मनियों की तपोभूमि है । दिगम्बर मान्यतानुसार यह अतिशय क्षेत्र माना जाता है । प्रतिवर्ष माघ शुक्ला 7 को ध्वजा
दिवस समारोह होता है ।
अन्य मन्दिर * इस मन्दिर के अहाते में ही विभिन्न सिद्ध क्षेत्रों की प्रतिकृतियाँ व समवसरण बड़े ही सुन्दर व कलात्मक ढंग से आकर्षक बने हुए है । पहाड़ पर श्वेताम्बर व दिगम्बर मन्दिर हैं ।
कला और सौन्दर्य * यह स्थान जंगल में स्थित पहाड़ी की ओट में अत्यधिक सुन्दर व मनोरम प्रतीत होता है । श्री बाहुबली भगवान की शान्त, सुन्दर और मनोहर मूर्ति पहाड़ी की ओट में रहने के कारण यहाँ का दृश्य देखने में बड़ा ही रोचक लगता है । समवसरण की रचना कलात्मक व भावात्मक ढंग से की गयी है ।
मार्ग दर्शन * यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन हाथकणंगडे है, जो कोल्हापूर-मिरज मार्ग में स्थित है, वहाँ से तीर्थ स्थल की दूरी 8 कि. मी. है । वहाँ से
कलात्मक समवसरण-बाहुबली
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