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________________ श्री पुड़ल तीर्थ (केशरवाड़ी) तीर्थाधिराज * श्री आदीश्वर भगवान, श्यामवर्ण, अर्द्ध पद्मासनस्थ, लगभग 120 सें. मी. । तीर्थ स्थल * मदास-कलकत्ता मुख्य सड़क मार्ग पर । मद्रास से लगभग 15 कि. मी. दूर पोलाल गाँव में विशाल परकोटे के बीच । प्राचीनता * यह तीर्थ स्थल लगभग 2500 वर्ष प्राचीन माना जाता है । पुरातत्व-वेत्ता इसे लगभग 1500 वर्ष प्राचीन होने का अनुमान लगाते हैं । भूसर्वेक्षणवेत्ता कर्नल मेकंजी ने अपने शोध में बताया है कि यहाँ के शासक, चोल वंशीय राजा । कुरुम्बर ने इस मन्दिर का निर्माण कराया और कुरुम्बर के वंशज जैन-धर्म के कट्टर अनुयायी थे । कहा जाता है कि किसी समय जैन-शासकों का यह पाट नगर था । इसे “पुड़ल कोटालम" कहते थे। प्रतिमा की कलाकृति से भी तीर्थ की प्राचीनता सिद्ध हो जाती है । विशिष्टता * यह तमिलनाडु का प्राचीन तीर्थ-स्थल है । प्रतिमा श्री केशरियानाथजी के समान सन्दर व प्रभाविक होने के कारण यह स्थल केशरवाड़ी के नाम से भी प्रचलित है । आत्मानुरागी स्वामीजी श्री ऋषभदासजी ने भी अपना अन्तिम जीवन साधना व साहित्य-प्रचार में यहीं पर बिताया था । इस तीर्थ की वर्तमान जाहोजलाली का मुख्य श्रेय उन्हीं को है । उन्होंने अपनी साधना के साथ-साथ अपने पूर्ण प्रयास से इस तीर्थ का जीर्णोद्धार करवाकर यहाँ सर्वसुविधाएँ जुटाईं, जिससे यात्रियों का आवागमन विपुल मात्रा में बढ़ा । श्री ऋषभदेव जिनालय-पुड़ल तीर्थ 192
SR No.002330
Book TitleTirth Darshan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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