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________________ श्री मन्नारगुड़ी तीर्थ तीर्थाधिराज * श्री मल्लिनाथ भगवान, अर्द्ध पद्मासनस्थ (दि. मन्दिर) । तीर्थ स्थल * पमनी नदी के निकट बसे मन्नारगुड़ी के हरिद्रानदी गाँव में । प्राचीनता * पहले इसे राजमन्नारगुड़ी के नाम से सम्बोधित किया जाता था । यह मन्दिर बारहवीं सदी में चौलन राजा के राज्यकाल में निर्मित हुआ माना जाता है । विशिष्टता * तमिलनाडु के प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थों में यह तीर्थ भी स्थान पाता है । इस मन्दिर में श्री सरस्वती देवी, श्री पद्मावती देवी, श्री धर्मदवी, श्री ज्वाला मालिनी आदि देवियों की प्रतिमाएँ अति ही प्रभावशाली हैं । प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ला दशमी को ब्रह्म-महोत्सव का आयोजन होता है । उस अवसर पर अनेकों यात्रीगण इकट्ठे होकर प्रभु-भक्ति का लाभ लेते हैं । मन्दिर के शिध्रातिशिध्र जीर्णोद्धार की आवश्यकता है। अन्य मन्दिर * वर्तमान में इसके अतिरिक्त अन्य कोई मन्दिर नहीं है । ____कला और सौन्दर्य * प्रभु-प्रतिमा अति ही सुन्दर व आकर्षक है । मन्दिर के दक्षिण भाग में सुन्दर व विशाल बगीचा हैं । मार्ग दर्शन * यहाँ से नजदीक के रेल्वे स्टेशन नीडामंगलम् 12 कि. मी., तंजाऊर 34 कि. मी. व कुंभकोणम् 34 कि. मी. है । इन जगहों से टेक्सी व बसों का साधन है । यहाँ का मन्नारगुड़ी बस स्टेण्ड मन्दिर से लगभग 2 कि. मी. दूर है । गाँव में टेक्सी व आटो का साधन है । कार व बस मन्दिर तक जा सकती हैं । सुविधाएँ * फिलहाल ठहरने के लिए कोई अलग स्थान नहीं है । परन्तु मन्दिर के निकट अहाते में ठहरा श्री मल्लिनाथ जिनालय-मन्नारगुड़ी 190
SR No.002330
Book TitleTirth Darshan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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