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________________ श्री गुम्मिलेरु तीर्थ तीर्थाधिराज * श्री चिंतामणी पार्श्वनाथ भगवान, अर्ध पद्मासनस्थ, श्याम वर्ण (श्वे. मन्दिर) । तीर्थ स्थल * छोटे से गम्मिलेरु गाँव के बाहर। प्राचीनता * यह प्रभु प्रतिमा यहीं पर सड़क के नव निर्माण के समय लगभग 30 वर्ष पूर्व भूगर्भ से प्राप्त हुई, तब यहाँ के स्थानीय भक्तजनों ने छोटे से कमरे का निर्माण करवाकर वि. सं. 2030 में प. पूज्य नन्दनविजयजी म. सा. की पावन निश्रा में विराजमान करवाया था । मन्दिर स्थापना के पश्चात् भक्तजनों का आवागमन बढ़ा । भक्ति भाव से आनेवालों की मनोकामनाएं भी पूर्ण होने लगी जिससे मन्दिर के विशालता की आवश्यकता महसूस होने लगी । अतः जीर्णोद्धार स्वरुप विशाल परकोटे के अन्दर भव्य रुप में विधिवत मन्दिर निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया जो अभी तक चल रहा है व लगभग एक वर्ष में सम्पूर्ण होने की संभावना है । यहाँ पर और भी जगह-जगह प्राचीन प्रतिमाएं मिलने के उल्लेख मिलते है । अतः पता लगता है किसी समय यहाँ कई जैन मन्दिर रहे होंगे व अनेकों जैन परिवारों का यहाँ निवास रहा होगा । प्रतिमा की कलाकृति से महसूस होता है कि यहाँ का इतिहास लगभग दो हजार वर्ष पूर्व का है । संभवतः यह प्रतिमा श्री भद्रबाहुजी के समय की हो । प्रभु प्रतिमा के दोनों बाजू शेरों की आकृति रहने के कारण पुरातत्ववाले इसे अशोककालीन बताते हैं । विशिष्टता * यहाँ की प्राचीनता व प्राचीन प्रभु प्रतिमा की अद्वितीय कलाकृति ही यहाँ की मुख्य विशेषता है । प्रभु प्रतिमा अतीव भावात्मक है । लगता है जैसे प्रभु साक्षात् विराजमान है व कुछ कहने वाले हैं । प्रतिवर्ष प्रभु के जन्म कल्याणक दिवस पोष कृष्णा दशमी को भव्य रुप से मेले का आयोजन होता है । तब आस-पास के गांवों से भी हजारों भक्तगण भाग . लेकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते है । अन्य मन्दिर * वर्तमान में यहाँ इसके अतिरिक्त कोई मन्दिर नहीं हैं ।। कला और सौन्दर्य * प्रभु प्रतिमा की प्राचीन कला अद्वितीय है । ऐसी कलात्मक प्राचीन प्रतिमा भारत में प्रथम है अतः बेजोड़ है ।। मार्ग दर्शन * यहाँ से नजदीक का रेल्वे स्टेशन द्वारपुड़ी 10 कि. मी. हैजहाँ से टेक्सी आटो, की सुविधा है । यहाँ से मेडापेटा 5 कि. मी. रावल पालेम 13 कि. मी. रामचन्द्रपुरम 15 कि. मी. राजमहेन्द्री 40 कि. मी. व विजयवाडा लगभग 200 कि. मी. दूर है । यह स्थान राउलपालने से काकीनाडा मार्ग पर है। मन्दिर तक कार व बस जा सकती है । __ सुविधाएँ * ठहरने हेतु सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला हैं, जहाँ भोजनशाला की भी सुविधा है । पेढ़ी * श्री चिंतामणी पार्श्वनाथ जैन टेम्पल तीर्थ, नेशनल हाईवे न. 5, पोस्ट : गुम्मिलेरु-533 232. मेडापेटा के निकट, तालुक : अलमुरु, प्रान्त : आन्ध्रप्रदेश, जिला : पूर्वगोदावरी, फोन : पी.पी. 08855-34037. श्री चिन्तामणी पार्श्वनाथ मन्दिर-गुम्मीलेरु 158
SR No.002330
Book TitleTirth Darshan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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