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________________ विजयवाड़ा-हैदराबाद मार्ग में आलेर लगभग 6 कि. मी. है, जहाँ पर आटो, तांगो की सवारी का साधन उपलब्ध है । आलेर स्टेशन के सामने भी धर्मशाला है, जहाँ पर पानी, बिजली की सुविधा है । यहाँ से हैदराबाद लगभग 80 कि. मी. है । यहाँ का बस स्टेण्ड लगभग 400 मीटर दूर है । मन्दिर तक पक्की सड़क है । आखिर तक कार व बस जा सकती है । सुविधाएँ * ठहरने के लिए मन्दिर के अहाते में ही सर्वसुविधायुक्त विशाल धर्मशाला है, जहाँ पर भोजनशाला व नास्ते की भी सुविधाएँ उपलब्ध है । इसी परकोटे में 82 कमरों की सर्वसुविधायुक्त एक और विशाल धर्मशाला का निर्माण हुवा है । पेढ़ी * श्री श्वेताम्बर जैन तीर्थ कुलपाक, पोस्ट : कोलनपाक - 508 102. व्हाया : आलेर रेल्वे स्टेशन, जिला : नलगोन्डा, प्रान्त : आन्ध्रप्रदेश, फोन : 08685-81696. औरंगजेब के पुत्र बहादुरशाह के सुबेदार मोहम्मद युसुफखां के सहयोग के कारण जीर्णोद्धार का कार्य सुन्दर ढंग से सम्पन्न हुआ व बड़ा परकोटा भी बनाया गया । वि. सं. 2034 में पुनः जीर्णोद्धार हुवे का उल्लेख है । कहा जाता है पहिले यहाँ के शिखर की ऊंचाई 69 फीट थी जो उक्त जीर्णोद्धार के पश्चात् शिखर की ऊंचाई 89 फीट हुई जो अभी विद्यमान है। वर्तमान में पुनः सभा मण्डप का जीर्णोद्धार हुवा है । विशिष्टता * श्री माणिक्यस्वामी प्रतिमा श्री आदीश्वर भगवान के ज्येष्ठ पुत्र श्री भरत चक्रवर्तीजी द्वारा अष्टापद गिरी पर प्रतिष्ठित प्रतिमा होने की मानी जाने के कारण यहाँ की महान विशेषता है । यह प्रतिमा अष्टापद पर्वत पर पूजी जाने के बाद राजा रावण द्वारा पूजी गई । उसके हजारों वर्षों पश्चात् अधिष्ठायक देव की आराधना से दक्षिण के राजा शंकर को प्राप्त हुई । ऐसी प्रतिमा के दर्शन अन्यत्र अति दुर्लभ है । इसके अतिरिक्त यहां पर प्रभु वीर की फिरोजे नग की बनी हंसमुख प्राचीन अद्वितीय प्रतिमा के दर्शन भी होते हैं । प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला 13 से पूर्णिमा तक मेला भरता है तब हजारों भक्तगण भाग लेकर प्रभु भक्ति का लाभ लेते हैं । यहाँ के अधिष्ठायक देव चमत्कारिक है । कहा जाता है कभी कभी मन्दिर में घुघरू बजने की आवाज आती है । अन्य मन्दिर * वर्तमान में इसके अतिरिक्त अन्य कोई मन्दिर नहीं हैं । कला और सौन्दर्य * यहाँ प्रभु प्रतिमाओं की कला अत्यन्त निराले ढंग की है । यहाँ कुल 15 प्राचीन प्रतिमाएँ हैं सारी प्रतिमाएं कला में अपना विशेष महत्व रखती है । माणिक्यस्वामी की प्रतिमा व फिरोजे नगीने की बनी महावीर भगवान की प्रतिमा का तो जितना वर्णन करें कम है । प्रभु वीर की फिरोजे नग में इस आकार की बनी प्रतिमा विश्व की प्रतिमाओं में अपना अलग स्थान रखती है जो विश्व का अद्वितीय नमूना URID यहाँ के शिखर की कला भी निराले ढंग की है । यहाँ, खण्डहरों में भी अति आकर्षक कला के नमूने नजर आते हैं । मार्ग दर्शन * यहाँ का नजदीक का रेल्वे स्टेशन 150
SR No.002330
Book TitleTirth Darshan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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