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आगम प्रकाशन परिचय
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वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद)
क्र. प्रकाशन नाम एवं परिचय प्रकाशक {ग्रंथमाला) संपादक, संशोधक आदि आगमों का कर्ता-विषय-तत्कालिन ग्रंथश्रेणि 18}
संपा.-Nagindas Jivanlal संस्कृति दर्शन आदि युक्त
| Shah Dr. जगदीशचंद्र जैन डॉ. और मोहनलाल महेता डॉ. कृत (हिं.) संशोधनात्मक परिचय का (गु.) भाषां.} भाग 2
| (गु.) [T, S] {2} 1646 जैन साहित्यनो बृहद् इतिहास |जैन तीर्थदर्शन भवन ट्रस्ट | लेखक-मोहनलाल मेहता डॉ.,
(आगमिक व्याख्याओ) {45 आगमों (नेमि विज्ञान कस्तुरसूरि भाषां., संपा.-रमणीकलाल के नियुक्ति से बालावबोध तक के ग्रंथश्रेणि 19}
मनसुखलाल शाह डॉ., व्याख्या साहित्य का मोहनलाल महेता
संपा.-Nagindas Jivanlal डॉ. लिखित (हिं.) परिचय का (गु.) भाषां. (ग्रंथ, ग्रंथकार और विषय विवरणयुक्त)} भाग 3 {गु., दे.ना.} [T,s] {#}
2063 (1)
536 (C)
1647
___78. आगम परिचय (संक्षिप्त) (1647-1701) पू.गुरुदेव कविवर्य पं.नानचन्द्रजी वर्धमान स्थानकवासी जैन संपा.-चुनीलालजी मुनि, 2033 (1) 830 (B) महाराज जन्मशताब्दि स्मृतिग्रंथ | श्रावक संघ
भाषां.-जगजीवन लालजी दोशी, {पं.नानचन्द्रजी महाराज जन्मशताब्दि
सौभाग्यचंद्र गोरधनदास स्मृतिग्रंथ एवं तद् अंतर्गत देवेन्द्र मुनि
तुरखीया शास्त्री कृत लेख जैन आगम साहित्य एक अनुशीलन' का (गु.) भाषांतर)
{गु., दे.ना.} [T] {#} | 1648 जैन साहित्य संशोधक अंक-3 जैन साहित्य संशोधक संपा.-बेचरदास जीवराज दोशी | 1983 (अ.) |83 (B) | {महा.सूत्र का दीपविजयजी कृत कार्यालय
पंडित (2) (मा.गु.) परिचय आदि) खंड 3
{दे.ना.} {#} 1649 SOME JAINA CANONICAL |Asiatic Society of लेखक. संपा.-बिमलाचरण लो |2005 (1) 230 (B) SUTRAS {आगम उद्भव,
Bombay {2}
ST. (Bimala Charan Law दिगंबर-श्वेतांबरोत्पत्ति, आगम
| Dr.) विभागीकरण, 11 अंग, 10 उपांग आदि 29 आगम के परिमाण-विषय आदि का संक्षिप्त चर्चायुक्त (अं.) परिचय एवं तत्त्वार्थसूत्र का परिचय)
| {रो. [T] {#} 1650 पिस्तालीस आगमो [संक्षिप्त रूपरेखा] | देसाई पोळ जैन पेढी लेखक-हीरालाल रसिकदास 2010 (1) 75 (D) (सचित्र) (45 आगमों के विभाग,
कापडिया, संपा.-चंद्रोदयसूरि विषय, परिमाण, व्याख्यासाहित्य आदि की संक्षिप्त (गु.) रूपरेखा} {गु.}
[T] {#} 1651 आगम पुरुषर्नु रहस्य
| शिवतिलक ज्ञान संपा.-अभयसागरजी पंन्यास 2010 (अ.) 150 (D) {आगम पुरुष के रहस्य का चित्रमंदिर {शिवतिलक | अभयसागरजी पं. कृत (गु.) परिचय, हेम तीर्थरंजन ग्रंथमाला सागरानंदसूरिजी कृत (सं.) अंगपुरुष |19) पच्चीसी सह अज्ञात कर्तृक (गु.) संवत् के क्रमानुसार प्रकाशन क्रमांक 1647 का वास्तविक स्थान 1654 के पश्चात् समझे।