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72. आगम विषयकोश
(पु.मु.)
क्र. प्रकाशन नाम एवं परिचय प्रकाशक {ग्रंथमाला) संपादक, संशोधक आदि वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) 1555 आगमोद्धृत विविध विषय समुच्चयः आनंद माणिक्य प्रकाशन संक., संशो.,
2034
60 (B) {45 आगमगत निक्षेप और छंद
संपा.-पुण्योदयसागरसूरिजी, विषयक पाठों का सागरानंदसूरिजी
पूर्व संक.-सागरानंदसूरि कृत संकलन} भाग 1 {दे.ना.}
[T] {2} 1556 धम्मकहाणुओगो
आगम अनुयोग ट्रस्ट, संक.-कन्हैयालालजी मुनि |2039 (1) 660 (A) (धर्मकथानुयोग) (मूलमात्र) अमदावाद (जैनागम (कमल), दलसुखभाई [DHAMMAKAHANUOGO] {32 अनुयोग ग्रंथमाला 1) मालवणिया पंडित, आगमों में से धर्मकथानुयोग संदर्भित
संशो.-अमृतलाल मोहनलाल आगमपाठों का संकलन-उत्तम पुरुष
भोजक पंडित कथानक, श्रमण कथानक, श्रमणी कथानक, श्रमणोपासक कथानक, |निह्नव कथानक, प्रकीर्णक कथानक (6 स्कंध (विषय)→114 कथानक→प्राय: 2500 सूत्रों (आगमपाठों) का संकलन स्थाननिर्देशयुक्त)} {दे.ना., रो.}
[[T, S] {2} 1557 धम्मकहाणुओगो {32 आगमगत आगम अनुयोग ट्रस्ट, संक.-कन्हैयालालजी मुनि 2040- 810+8043 धर्मकथानुयोग के 6 स्कंध अमदावाद (फतेह प्रताप (कमल), दलसुखभाई
2041 (1) 1614 (A) (विषय) उत्तम पुरुष, श्रमण, श्रमणी, स्मृति पुष्प आगम अनुयोग मालवणिया पंडित, श्रमणोपासक, निह्नव और प्रकीर्णक ग्रंथमाला 1)
अनु.-देवकुमार जैन के कथानक-114 के 2500 सूत्रों (आगमपाठों) के संकलन सह (हिं.) अनु. स्थाननिर्देशयुक्त (स्कंध-6 →सूत्र-669+665+284+346+117+35 9-2500)) भाग 1-2 (दे.ना.)
[T, S] {#} | 1558| अभिधान राजेन्द्र कोष {अर्धमागधी अभिधान राजेन्द्र कोष कोशकर्ता-राजेन्द्रसूरि भट्टारक, 2043 (2) 1054+1238 प्राकृत शब्दकोश (अर्ध.मा./
+1380.... संशो.-दीपविजयजी, यतीन्द्रसूरि प्रकाशन संस्था,
9526 (A) प्रा.शब्द)→सं., प्रा.रूपांतर--संज्ञा अमदावाद (लिंग/जाति/समास/धातु/देशी)→ व्युत्पत्तिाशब्दार्थ/विशेष स्पष्टीकरण/कथा स्वरूप अनेक सटीक साक्षीपाठ, स्थाननिर्देशपूर्वक (शब्द-60000) (अ.., आ.., ए.., ज.., प.., म.., श..)} भाग 1-7 {दे.ना.)
[T] {2} 1559 गणितानुयोग [GANITANUYOGA] आगम अनुयोग ट्रस्ट, संपा.-कन्हैयालालजी मुनि 2043 (2) 972 (A) (भूगोल-खगोल एवं अन्तरिक्ष संबंधित अमदावाद
(कमल), सह संपा.-दलसुखभाई द्रव्यलोक, क्षेत्रलोक आदि विषय.
मालवणिया पंडित, पेटाविषयों के माध्यम से 32 आगम में
अनु,-मोहनलाल मेहता डॉ. वर्णित गणितानुयोग विषयक पाठों का विषयानुसार संकलन सह (हिं.) अनु. स्थाननिर्देशपूर्वक (सूत्र-1128+78+62+9+10)} (दे.ना.} [T,S] {2}