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________________ xvi → विभाग क्रमांक 77-79 एकाधिक आगमों के संक्षिप्त परिचय, विस्तृत परिचय व सूक्तसंग्रह संबंधित है । → गणधरवाद संबंधित कृति व प्रकाशनों का परिचय विभाग क्रमांक 80 में दिया गया है । → एकाधिक आगम पर रचित सज्झाय (उदाहरणार्थ '11 अंग की सज्झाय) विभाग क्रमांक 81 ( आगम सज्झाय आदि) में बताई गई है । इस विभाग में चुनिंदा प्रकाशनों का ही परिचय दिया गया है । → आगम चित्रसंपुट संबंधित प्रकाशनों का परिचय विभाग क्रमांक 82 में दिया है । किसी भी एक आगम से संलग्न ऐसे समग्र प्रकाशनों को देखने के लिए वाचक को संलग्न विभाग के प्रकाशन परिचय के साथ साथ उपरोक्त निर्देशित 'आगम एकाधिक मूलसूत्र', 'आगम सानुवाद' आदि विभागों (विभाग क्रमांक 68 - 82) का भी अवगाहन करना आवश्यक है । सरल उपाय यही है कि कृति परिचय में दिये गये प्रकाशनक्रमांकों का उपयोग इष्ट कृति के प्रकाशन की जानकारी पाने के लिए करें । उसी तरह किसी भी एक आगम से संलग्न समग्र कृतियों को देखने के लिए वाचक को संलग्न विभाग के कृति परिचय के साथ साथ 'आगम थोकसंग्रह', 'आगम परिचय (विस्तृत) ', 'आगम सज्झाय आदि' इन तीन विभाग (विभाग क्रमांक 74, 77, 81) का अवलोकन करना आवश्यक है । निष्कर्ष :- सामान्य से प्रत्येक आगम के कृति परिचय के माध्यम से उन आगम के कृति व प्रकाशन संबंधी जानकारियाँ सरलता से प्राप्त होती है, किन्तु आगमिक साहित्य विभाग (क्रमांक 7282) में से महत्तम विभाग कृति से असंबद्ध है और सीधा प्रकाशन परिचय अंतर्गत ही प्रत्येक प्रकाशन के विषयों का परिचय दिया गया है, अतः स्वतंत्र आगम के कृति प्रकाशनों की जानकारियाँ सरलता से प्राप्त करने हेतु कृति परिचय का अवलोकन करें, जबकि आगमिक साहित्य विभाग के विषयों की जानकारियाँ प्राप्त करने हेतु प्रकाशन परिचय का अवलोकन करें । (2) कृति परिचय इस विभाग में आगमिक कृतियों का परिचय दिया गया है, इसे प्रकाशन परिचय से संलग्न करने हेतु प्रत्येक कृति परिचय के अंत में प्रकाशनक्रमांक रखे गये हैं । आगमिक अनुक्रमणिका में दिए गए विभागों के क्रमानुसार कृतियों का परिचय दिया गया है और प्रत्येक विभाग अंतर्गत प्राचीनता के क्रम से मूल, निर्युक्ति, भाष्य आदि प्राचीन गद्य-पद्य कृतियों का परिचय दिया गया है, उसके पश्चात् प्राचीन सज्झाय आदि पद्यात्मक गेय कृतियों का परिचय दिया गया है । प्राचीन कृतियों के परिचय के पश्चात् प्राचीन कृतियों के स्वरूपों के क्रम (मूल, निर्युक्ति, भाष्य आदि) अनुसार उन पर हुए अर्वाचीन अनुवाद, विवेचन आदि कृतियों का परिचय दिया गया है । स्पष्टतापूर्वक कहा जाए तो प्रत्येक विभाग अंतर्गत परिशिष्ट 3 में दिए गए स्वरूपों के क्रमानुसार ओर प्रत्येक स्वरूप अंतर्गत रचना संवत के क्रमानुसार कृतियों का परिचय दिया गया है । → मूल, निर्युक्ति, टीका, अनुवाद आदि सर्व कृतियों के कर्ता, परिमाण, रचना संवत् आदि अनेकविध जानकारियाँ यहाँ पर आगम विभागानुसार दी गई है । जिससे वाचक अभीष्ट आगम से संबंधित
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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