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________________ यह ग्रंथ मेरा प्राण है। रोशनलाल कटारिय, नीमच (म.प्र.) 'विनय बोधि कण' का संयुक्तांक प्राप्त हुआ। पुस्तक देखते ही जिज्ञासुओं को आकर्षित कर लेती है। छपाई, साज सज्जा, प्रस्तुतीकरण आदि अद्वितीय और बेहद चित्ताकर्षक है। प्रत्येक जिज्ञासु निःसंदेह इस पुस्तक को अमूल्य निधि समझ कर रखना पसंद करेगा। आज के समय में प्रश्नोत्तर ही वह सहज और सरल साधन है, जिससे आम पिपासु में ज्ञान की भूख जगा सकते है। और तृप्त भी कर सकते है। धन्य है पूज्य गुरुदेव और धन्य है इस पुस्तक के माननीय प्रकाशक। इस पुस्तक का खुब उपयोग हो और जिनवाणी के प्रचार प्रसार में यह मील का पत्थर साबित हो। यही हमारी शुभकामनाएँ हैं। अभयकुमार बांठिया, बेंगलोर (कर्ना.) पुस्तक पठनीय, संग्रहणीय व अनुमोदनीय है। छपाई व कागज सुंदर है। इन पुस्तकों में आई पेपर की जगह साधारण अच्छा कागज का प्रयोग हो तो लम्बे समय तक सुरक्षित रहता है। एक कदम अपनी ओर में जैन चिन्ह सभी पृष्ठों पर सही अनुपात में है। ललित कुमार नाहटा, नई दिल्ली कुछ भाग पढ़ने पर पुस्तक को रखने का मन नहीं किया स्वयं कलम उठाने का मन बना तथा आपका धन्यवाद किन शब्दों में किया जावे, वे शब्द ही नहीं, ऐसी वीर वाणी का आपने सम्पादन करवाकर श्रुतज्ञान फैलाया। आप धन्यवाद के पात्र है। वीरवाणी का प्रचार प्रसार करना, कराना, अनुमोदन करना २० बोलों में एक बोल है। उच्च गोत्र बांधने के लिए आप धन्य आप द्वारा भेजा गया 'विनय बोधि कण' ग्रंथ हमारे पड़ौसी श्रीमान बी. जवाहरलालजी जैन ने लाकर हमें दिया, सरसरी निगाह डालनेसे हमें लगा कि यह ग्रंथ न केवल श्री संघो के यहाँ परन्तु हर घर में हो, जो वाणी संकलित है उसे पढ़ने और उस पर अमल करने से सचमुच प्रत्येक व्यक्ति का जीवन सँवर जाएगा। किसी एक व्यक्ति के जीवन में भी अगर परिवर्तन आ गया तो आपका उस पर उपकार तो होगा ही, साथ में आप श्री द्वारा की गई इतनी महेनत और खर्चा भी मानो सफल हो जाएगा श्रीचंद सिंघी, सरिता संगम पत्र, बेंगलोर (कर्ना.) श्री महावीर प्रसाद जैन, S.S जैन सभा त्रीनगर, दिल्ली 'विनय बोधि कण' नामक ग्रन्थ पढ़ने में आया बहुत ही अच्छा एवं उपयोगी लगा। यदि प्रभावना वश भेज सकें तो १ प्रति एवं कीमत से भेज सके तो ५ प्रति भिजवाने का कष्ट करें। आशा है मेरे अनुरोध पर गौर होग। खुशालचंद देशलहरा, दुर्ग (C.G) 'विनय बोधि कण' चार चातुर्मास के अमृत रूपी वाणी को एक ग्रन्थ के रूप में रखकर वास्तव में बहुत ही श्रेष्ठ कार्य किया। राजेन्द्र जिन्दानी, भेल (BHEL), भोपाल (म.प्र) 'विनय बोधि कण' ग्रन्थ की पंजाब व हरियाणा की प्रतियों का पार्सल मुझे मिल गया था। वो जैसे ही संघ का कोई व्यक्ति दिल्ली आता है, मैं उसको सौंप देता हैं। दिल्ली की सभी संघो को दे दी है। बाहरवाली का कुछ समय लगेगा। श्रीचंद जैन (जैन बंधु),माडलटाउन, दिल्ली बाह्यसज्जा, मुद्रांकन और चित्रांकन की सुन्दरता बहुत ऊँची है, इस ज्ञान दान के लिए हमेशा ऋणी रहेंगे। मार्ग दर्शक और ज्ञान क्षुधा की तृप्ति की अक्षय क्षमता लिए हुए है। 'विनय बोधि कण' को हाथ में लेते ही शुरु से अन्त तक निरन्तर पढ़ने की भावना जागृत होती है। इसका पठन दुर्लभ, सुखद अनुभव लगता है। मेहता परिवार को बहुत बहुत बधाई। श्रीमती पुष्पा राजेन्द्रकुमारजी कीमती, अध्यक्ष, आ प्र. महिला कॉन्फ्रेंस, हैदराबाद (A.P) 'विनय बोधि कण' हमारे संघ को मालेगांव से प्राप्त हुआ है। तथा यह किताब बहुत अच्छी बनी है। ज्ञान की अच्छी से अच्छी मालुमात होने में बहुत ही सहायक है। पढ़ने में बहुत ही सरल और समझने में सौ फीसदी अच्छी लगी। आपके हम ऋणी है। रमेश कर्नावट, दोडाईचा (महाराष्ट्र) धार्मिक साधना की सार्थकता इसी में है कि हम अपने राग-द्वेष को त्यागकर वीतराग बने। शेष सब प्रपंच है। साधक - कन्हैयालाल लोढ़ा, जयपुर (राज.) 'विनय बोधि कण' हमारे आवास के ऊपर पुस्तकालय में रखी है, जहाँ साधु साध्वियाँ शेष काल में पधारना-रुकना होता है, स्वाध्याय के उपयोग आएगी ही। आप सभी ने कठिन परिश्रम से उक्त पुस्तक का निर्माण किया। कुछ अन्य संघो ने भी उक्त ग्रन्थ की मांग की है। प्रकाशचंद पगारिया अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश, बांसवाड़ा (राज.)
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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