SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 9
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 5/जैनों का संक्षिप्त इतिहास, दर्शन, व्यवहार एवं वैज्ञानिक आधार दर्शन की विशिष्टता, महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं आचरण की प्रेरणा, अनेकान्त दर्शन इत्यादि महत्वपूर्ण उल्लेख इन लेखों में उतारा गया है। आचार-व्यवहार में जैन दर्शन एवं हमारी जीवन-पद्धति, मनुष्य, जन्म से नहीं कर्म से महान होता है, अहिंसा और शाकाहार, नशामुक्त-जीवन, विश्व में पशु, पक्षी, वध और शाकाहार हमारा त्राण, श्रेष्ठ आहार आदि अन्य उपयोगी लेख सम्मिलित किये गये हैं। अन्य लेख विज्ञान की रोशनी में जैन दर्शन है। वर्तमान युग में कोई दर्शन केवल पूजा-पद्धति, कर्मकाण्ड, देवी-देवताओं के भय, भ्रम पर नहीं चल सकता जब तक कि उसके सिद्धान्त प्रकृति के पोषण वनस्पति एवं जीव के विकास, मानव एवं अन्य जीवों के सहअस्तित्व पर निर्भर न हों। जैन दर्शन कितने सही अर्थों में विज्ञान सम्मत मानवतावादी धर्म है, प्रकृति एवं पर्यावरण के अनुकुल है, उसके आलोक में विज्ञान भी कितना और विकास कर सकता है। एककोशिय वायुकाय जीवों पर विज्ञान के आधार पर उपयोगी लेख है। किस प्रकार प्रदूषण हमारी वायु, पृथ्वी, पानी, ईंधन, जीव मात्र के लिये घातक है, ध्यान देने योग्य है। उसका विज्ञान की नवीनतम खोजों के आधार पर विश्लेषण किया गया है जो जैन, अजैन समस्त वर्गों के लिए उपयोगी है। जैन-दर्शन ज्ञान और विज्ञान तथा समस्त जैन सम्प्रदाय भी एक दूसरे के पूरक हैं, विरोधी नहीं, सहयोगी हैं। जैनत्व , अहिंसा , सत्य , अनेकांत और अनासक्ति पर आधारित गंभीर एवं व्यापक दृष्टिकोण वाला दर्शन है। मेरे द्वारा इन लेखों से जैन एवं इतर जैन बंधुओं को इससे अवगत कराना प्रमुख उद्देश्य रहा है। कई लेख अंग्रेजी में स्वतंत्र अनुवाद के रूप में भी साथ-साथ लिख दिये हैं कि ताकि वर्तमान युग में कन्वेंट में पढे छात्र एवं अहिन्दी भाषा-भाषी अंग्रेजी के जानकार भी, उन से लाभान्वित हों।
SR No.002322
Book TitleJaino Ka Itihas Darshan Vyavahar Evam Vaignanik Adhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Jain, Santosh Jain, Tara Jain
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year2013
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy