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________________ जो गोविहि णामिहि वित्तक्किउ सो पुरिसुत्तमु किह जणि कोक्किउ गोविहि दंसणि जो वियलियमणु परिभमेइ तहो किह देवत्तणु जो गोत्तमकलत्तविंभलमइ सहसणयण संजायउ सुरवइ चंदु विहप्पइभजासत्तउ भणिवि कलंकिउ जणि विग्गुत्तउ देव वि जइ पुणु मणुयायारिहि वत्तिहि पियसुयमोहुग्गारिहि देव वि जइ कोहाउरकामिय भवि भमंति दुक्कम्मोहामिय ता मणुयह देवह वि ण अंतरु दीसइ पुण्णहेउ काइ मि थिरु पावयम्म जे सइ उप्पायहि पुण्णकम्म किह ते परु लायहि ताह ण वीयरायगुणु दीसइ संसउ जाह चित्ति णिरु विलसइ ॥ घत्ता ॥ छुहतण्हादोसिहि कयतणुसोसिहि जो कयावि णउ भिज्जइ 1 सो देउ पउत्तउ णिम्मलचित्तउ इयरु ण संतिहि गिजह ॥११॥ ___XI. I. B. गोविहिं - गोपीति; जो - विष्णुः; णामेहिं वियक्किउ - अंगुल्या कः कपाटे - इत्यादिवचनैः वितर्कितः. 3. B. जो - इंद्रः. 4. B. विहप्फइ - बृहस्पतिः. 5. B. मणुयायारिहिं - मनुष्याचारैः आकारैः वा; वत्तहिं - प्रवर्तन्ते. 7. पुण्यकारणं. 10. B. णउ भिज्जइ - न भिद्यते. II. B. गिज्जइ - कथ्यते. Kadavaka II.] I. A. वित्तकिउ; कोकिउ. B. जो गोविहिं णामेहिं वियक्कर पुरिसोत्तमु कह जण कोक्किउ; C. णामेहिं वित्तक्कउ पुरिसोत्तमु कह जण कोक्किउ. 2. B. गोविहिं; कह; C. दंसणे; कहि. 3. B. सहसणयणु; C. जु for जो. 4. B. भणेवि कलंकिउ जणि विग्गुत्तउ; C. भणवि; विगुत्तउ. 5. B. ग्गारेहिं. 6. A. दुःखंसोदामिय; B. भवे भमंति दुक्कम्मोहामिय. C. दुक्कम्मोहामिय. 8. A. किर for किह. B. पावकम्मु जे सई उप्पायहिं पुण्णकम्मे ते कइ परु लाया C. पावयम्मु...सई...हिं...कम्मि...हि. 9.C. ताई; विलिसइ. 10. B. किय for कय; C. तन्दादोसहिं सोसहि संतहिं. I. BG. संतहिं,
SR No.002315
Book TitleChakkammuvaeso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Modi
PublisherOriental Institute
Publication Year1972
Total Pages448
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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