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अहिणंदेवि सुयणु समभावणु कहवि ण जो दोसहि पेरइ मणु अणिसु परोवयारु परिपेक्खइ अवयारहो सरूउ णोलक्खइ णवघणवाणिउ जिह जणु पोसइ सुयणु वि तिह सहाउ ण णिरसह दुजणु तिह विवरीयसहावउ दाहसरूवउ तिह जिह पावउ ऽगुणु वि दोसुतहो तिह मणि जायइ जिह सुइणीरु पंकि कलुसायइ णिंबु ण जिह महुरत्तु पयदृइ दुजणु तिह गुणेहि ण चहुद्दइ णइसग्गियसहाव बिपिण वि जण पुप्फयंत जिह तावसुहावण संसइ ताह ण गुणु मंपिणजइ रूढिए एत्थ पसंस विहिजइ
॥घत्ता ॥
सुकलायहि कंचणु दोसपवंचणु जिह सोहिन्जइ खारिहि 10 परियाणियसत्थिहिं तिह मज्झस्थिहि कइकइत्तु सुवियारिहिं ॥३॥
III. I. B. अहिणंदेवि - श्लाध्यं कृत्वा; सुयणु - सजन; कहवि - कथमपि; 2. C. अणिसु - सदा; B. अवयारहो - अनोपकारस्य; वाणिउ - जलं; 3. B. णउ णीरसइ - न त्यजति; 4. B. दाहसरूवउ - दहनशीलः; BC. पावउ - अमिः; 5. B. गु णुवि गुणोऽपि; तहो । दुर्जनस्य; पंकि - कर्दमे; 7. B. णइसग्गियसहाव विण्णि - स्वाभाविकगुणैः द्वौ; पुप्फयंत - चन्द्रसूर्यो; C. णइसग्गिय - निसर्गकौ; पुप्फयंत - रविचंद्र; B. तावसुहाधण - संतापामृतधनवंतौ; 8. B. ताहं - सज्जनदुर्जनानाम् ; रूढिए - लोकप्रसिद्धया; एत्थ - जगति ग्रंथे वा; 9. B. सुकलायहिं - कलावतैः; बुद्धिवंतैः; 10. B. मज्झत्थैः - मध्यस्थैः; कइकइत्तु सुवियारिहिं - कपीनां कवित्वं ॥ सुष्टु विचारकैः
[Kadavaka 3.] 2. A. अववारुहुँ...णोलखइ; B. अवयारहो सरूउ णोलक्खइं C. पेरवइ; अवयारहो...णोलखइ; at times C. possesses the tendency to simplify conjuncts, e.g. लखइ for लक्ख इ. 3. B. जह पोसई...तह..."उ; C. जह...तह...णउ. BC. जह...तह; both these MS. जह...तह while A. जिह...तिह. 5. B. जायई: C. कक्षुसावइ. 6. B. णिवु ण जह महुरत्ते...तह...चहुट्टइं. C. णिंबु...जह महुरत्ति...तह...चहुट्टइ 8. B. ताहं...विहिज्जइं; C. संसए ताहं...मण्णिज्जइ...विहिजइ. 9. B. जह सोहिनइ खारि; 10. B. सत्थेहिं तह मज्झत्थेहिं; C. सत्थहिं...मज्झत्थहिं.