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________________ २२९ ॥गाहा ॥ परविहियं णियविहियं दुविहं तं होइ इत्थ जीवाणं दिढकम्मणियलबद्धा जे जहिं णरा जंति णरयम्मि ॥ छ । परकोसाकोसणदुव्वयणिहि उवहासहि उम्भासियमयणिहि णिन्भच्छणतजणपीडालिहि मम्मपयंपणिहि सुकरालिहि 5परकिउ णियविहिउ वितहो तुल्लउ पभणिज्जइ दुक्कम्ममहल्लउ वहु बंधणु सिरछेयणु मारणु दुट्ठपयंपणु गत्तवियारणु विसपइसणु णिवरिउहि समप्पणु इय भेयहि जं चित्ति वियप्पणु झाणु रउद्द कहिउ णरयालइ तेण वि पइसइ दुक्खविसालइ सहइ दुक्खु जं अण्णहो चिंतिउ पुव्वजम्मि उप्पायहि मंतिउ ०विरइउ णारइएहि णिरंतर पंचपयारु वि सुट्ट भयंकरु तहो णीसरिउ होइ मंसासणु तिरिउ पवच्चइ णरइ कुवासणु णरु रउद्दझाणे अहिमंजरु अवरु वि तिरिउ होइ बहुअहयरु ॥ घत्ता ॥ णरजम्मु कह वि जइ पुणु लहइ ता णरु सुंडिउ धीवरु तिल्लित पारद्धिउ सो होएवि लहु णरयहो जाइ कुकम्मेहि पिल्लिउ ॥७॥ ___VII. 7. णिवरिउहि समप्पणु • नृपस्य शत्रोः समर्पणं. I. कुवासणु - दुष्टभावनायुक्तः. 12. अहिमंजरु - सर्प - विरालु; बहुअहयरु - बहुपापकारी. 13. सुंडिउ - कल्लपाल:. [Kadavaka 7.] I. BC. एत्थ; 2. B. दढ; जेहिं. C. णिलग; जेहिं ण राति णरयम्मि 3. B. °हिं; °हिं; मयणहिं; C. दुव्वयणहिं; °हिं. 4. A. णिब्भथणतज्झणं; B. णिब्भच्छणतजपीडालिहिं; °पयंपतेहिं; °करालिहिं. C. पणेहिं; 'हिं. 5. C. तह for तहो. 6. A. 'पयंप्पणु. 7. A. समप्पिणु; B. णिउरिउहे समप्पणु; भेयह; C. विसयपवेसणु; णिव is dropped; °हिं. 8. A. पयसइ; B. णरयालए; C. दुक्खु. 9. B. उप्पायहो; C. उप्पायहु. I0. BC. 'हिं. 12. C. अवर वि. 13. B. कह वि पुणु जइ; C. जम्भ; पुण्णु for पुण; तेल्लिउ. 14. A. जोइ for जाइ; B. पारुद्धिउ; सो dropped; जाइ कुकुम्मिहिं पेल्लिउ; C. जाइ कुकम्मिहिं.
SR No.002315
Book TitleChakkammuvaeso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Modi
PublisherOriental Institute
Publication Year1972
Total Pages448
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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