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________________ २२३ नं दहभेउ सुगुरुआएसें मत्थवंतु किन्जइ संतोसें विहियदोसु णरु जिह णिउ दंडइ अवराहाणुरूउ बलिबंडइ भवियणु पयडियपाउ णिरुत्तउ पच्छत्ते तिह दंडइ सुहगुरु जो पिच्छंतदोसु उप्पिक्खइ सइ जाएविणु गुरुहु ण अक्खइ अप्पउ णवि सोहइ तव्वयणिहि सो अंधउ पिच्छंति वि णयणिहि संसारंधकूवि दीवयकर णिवडिवि खयहो जाइ सयसक्कर ॥ घत्ता ॥ चउभेउ वि जो णरु वित्थरइ विणउ सम्बकल्लाणह कारणु 14 चउभेयहो संघहो भत्तियइ तहो जायइ भवभवणणिवारणु ॥४॥ ॥ गाहा ॥ विज्जा धम्मो कित्ती सुरसाहिजं सुसंजमो सीलं तिह वड्डइ विणएणं हुवासणो जिह सुवाएण ॥ छ॥ मणवयणहि किउ विणउ गणिजइ सो पुणु विज्जावच्चु भणिजइ 7. C. दहभेउ - आलोचना प्रतिक्रमआदिनवप्रकार. 8. विहियदोसु णरु · कृतदोषः पुरुषः; णिउ - राजा; अवराहाणुरूउ बलिबंडइ - दोषानुसारेण दंडयति हठात् ; C. - यथा कृतदोषं राजा डंडयति तथा गुरुः. 9. पच्छत्ते - प्रायश्चित्तेन. 10. उप्पिक्खइ - अवगणनां करोति. II. तव्वयणिहि - गुरुवचनेन. 12. सयसक्करु - शतखंडं. ____ 1. 2. हुवासणो etc. - पवनो अमिवत् . 3. सो - विनयः इदानीं पुनः 7. C. संतोसिं. 8. A. णिरु for णरु; BC. जह. 9. BC. णिरुत्तर; C पच्छित्तें; BC. तह. I0. A. पिछंत'; सह; B. पेच्छंत; उप्पेक्खइ; सइ; हु; C. डेच्छंतह; दोसुप्पेक्खइ; गुरुहे. II. A. मूढउ; BC. तव्वयणहिं: B. सो अंधउ पेच्छंति वि णयाणिहि. C. पेच्छंति; हिं. 12. C.णिवडेवि. 13. B. विणउं; BC. °हे. I.4. A. भवसवणणिवाराणि; B. भत्तिय एं; C. भत्तियए. [Kadavaka 5. ] 1. A. gehifesi repeated. 2. A. asfa urgut; B. TE वड्डइ विणएणं हुआसणो जह; C. तह वइ विणएणं हुआसणो जह. 3. B. °हिं; विच्चावच्चु; C. 'हिं.
SR No.002315
Book TitleChakkammuvaeso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Modi
PublisherOriental Institute
Publication Year1972
Total Pages448
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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