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________________ [ तेरहमो संधि] ॥ध्रुवकं ॥ अणुवयइ समासे वजरमि सावयधम्महो मूलइ पालियइ जाइ सुरसुहु जणहि संसारहो पडिकूलइ ॥छ॥ हिंसालियपरधणथीगंथई वजणि जाइं इंति अपसत्थई पढमाणुव्वउ जो परिसीलइ सो तस णियजीविउ जिह पालइ ऽणियकज्जे थावर वि विराहइ वहइ ण ताइ मि सम्मुहु चाहइ सयलह वयह पहाणु वि दिउ होइ अहिंसावउ पुणु जेहउ पुहइरुक्खजलमारुयतेयह विरयंतें आरंभु विवेयह परु णवि भविएं हक्कारिव्वउ आरंभोवएसु णवि दिव्वउ परपावहो जो अप्पउ वारइ जीवदयावउ सो णरु धारइ जीवदयावंतु वि णरु गालिउ पियइ तोउ णयणेहि णिहालिउ जीवजोणि जल कहिउ मुहत्ते जलवासेण वि तं पि बहुत्ते फासुउ करिवि पयत्तें मुचइ भव्वजोग्गु तं पाणिउ बुचइ [Sandhi : 13] I. I0. तोउ - जलं. II. जलवासेण - सुगंधिद्रव्येण; C. - गाढवस्त्रेण. [ Sandhi : 13 ] [Kadavaka I.] I. A. सवयधम्महो; BC. °ई; °ई. 2. BC. °ई; हिं; इं. 3. A. गंत्थह; वजणिज्ज हुंति; अपसत्थइ; B. गंथहं वजणि जाई होंति; ; C. गंथहं; वजणिजाइ; अपसत्थहं. 4. A. तेमसणियजीविउ, B. सो तस णियजीविउ जह पालइ; C. सो तस णिय; जह. 5. B. ताई; हुँ; C. विणु काजि सम्मुहु वि ण चाहइ. 6. BC. °ह; °हं; B. जिट्ठउ. 7. B. °ह; है; C.हं; विहेयहं. 8. B. हक्कारेवउ, देवउ; C. हक्कारेव्वउ, देवउ. 9.C. भावहो for पावहो. 10. B. °हिं; C. पिवइ, 'हिं.. JI. A. पिहुवुत्ते; BC. तं पि वहुत्ते. 12. A. पासुउ; B. फासुर
SR No.002315
Book TitleChakkammuvaeso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Modi
PublisherOriental Institute
Publication Year1972
Total Pages448
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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