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जो जिणपुरउ खिवइ पुप्फंजलि भवदुक्खहो णं देइ जलंजलि जिणपुज्जइ पुजारिहु लोयह होइ पुरिसु वित्थरियपमोयह जिणपुज्जाइ दियहकिउ दुक्किउ खिजइ सुहु अणंतु मइतकिउ भवियहो होइ अवसु संखेवें भासिउ जोइ जिणेसरदेवें
॥ घत्ता॥
अट्ठविहु वि पुजाहि फलु अमरकित्तिसुहलच्छिपयासणु अंबपसाय सुणताह जं कुणेइ जीवह भवणासणु ॥११॥
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इय छक्कम्मोवएसे महाकइसिरिअमरकित्तिविरइए महाभवअंबपसायाणुमण्णिए
फलपूजाकावण्णणो णाम णवमो संधिपरिच्छेओ सम्मत्तो ॥ संधि ९ ॥
पुज्जारिहु - जिनस्य यः पूजां करोति स लोकैः अरिहः पूज्यो भवति. 12. दियह - दिनैः. 13. जोइ - विचारितः. 15. जं - पूजाफलं. पूय for पुज; अट्ठवि दव्वई. I0. C. कुसुमंजलि; दिइ. II. B. पूजई; लोयह; पुरुसु; पमोयह; C. पुजाई; लोयह; पमोयहं. 12. A. पुज्जइ; BC. जिणपुजाई दियहं किउ; B. मई. I3. B. संखेविं; C. भवियहु. 14. B. पूजाहिं; C. पुजहिं. 15. BC. सुणताहं; जीवहं; C. दुहणासण. Colophon : B. adds. महाकव्वे; संधी समत्ता; C.संधी सम्मत्तो.