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[सत्तमो संधि]
॥ध्रुवकं ॥ जो दीवउ जिणसामियपुरउ भत्तिए णरु उत्तारइ तिहि संझहिं भवि भवि णियतणुहि दिव्वकंति वित्थारइ ॥
____॥ आवली ॥ उग्गच्छंतु भाणु जिह भुवणुब्भासए तेए तमु हणंतु कमलइ वियसावए। तिह सो जायमत्तु कुलदुरिउ विहंडए
सजणपियरबंधुसुहिसुहिमुहइमुहइ मंडए ॥छ॥ जो दीवउ जिणमंदिरि बोहइ सो णियणाणे तिहुयणु खोहइ रयणविणिम्मियपवरविमाणिहि सग्गि रमेइ सहिउ गिव्वाणिहि
चक्कहरत्तु रयणणिहिसंसिउ सो पावइ सुरणरिहि णमंसिउ 1०तयणु लहेइ पंचकल्लाणइ सिद्ध होइ णामियगिव्वाणइ दीवयदाणपुण्णवित्थारणि पवर कहा भवियणमणहारिणि णिसुणि महासइचचिणिणंदण विरइयअमरसूरिगुरुवंदण इय भारहविसयम्मि रवण्णउ णयरु मेहपुरु जणसंकिण्णउ
[Sandhi : 7] I. 3. उग्गच्छंतु - उदयं गच्छतु( - गच्छन् ? ); भुवणुब्भासइ - जगदुद्दीपयति; "गिव्वाणइ - देवाः; 12. महासइ etc. - भो अंवप्रसाद. 14. विबुह - देवपंडितश्च;
__ [ Sandhi : 7] [Kadavaka I.] I. B सामिहिं; 2. B. तिहिं संझहें; तणुहे; C. तिहिं; जिवतणुहो. 3. BC. जह भुवणुब्भासए. 4. B. तेएं; कमलई वियासए; C. तेएं; हुणंतु कमलाई विकंसए. 5. A. तिय for तिह; खंडइ BC. तहसो; B. विहंडए; C. खंडए. 6. B. मुहइ मंडए. 7. A. दीवोवय for जो दीवउ; BC. तिहुवणु; C. जिणमंदिरे बोहए. 8. B. विमाणेहिं सग्गे; गिव्वाणिहिं; C हि; 'हिं. 9. B. णरहि; C णिहिं; णरहि. I0. A. णासियगिव्वाणहि; B. कल्लाणई; 'गिव्वाणई; C. लहवि; इं; इ. II. C. विथारिणि, 13. BC. रवण्णउं; B. मेहउरु; संकिण्णउं. 14. A. णाइ