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________________ २१ ॥ रचिता ॥ णेहु अणत्थमूल भवकारणु दुग्गइणयरमग्गउ विणु छिड़े पिसाउ अइदारुणु जीवह अइअवग्गउ ॥ छ । जिह जिह सा ण किंपि आहासइ तिह तिह सो णियमुत्ति पयासइ जिह जिह सा ण झाण परिसेसइ तिह तिह सो तहो गत्तु गवेसइ जिह जिह सा परमक्खरु चिंतइ तिह तिह सो रइसुहु मणि मंतइ जिह जिह सा ससील संभालइ तिह तिह सो सवियारु णिहालइ जिह जिह सा गुरुवयणु ण छंडइ तिह तिह सो णेहें अवरुंडइ जिह जिह सा सपइज ण भंजइ तिह तिह सो बहुभाव पउंजइ जिह जिह सा दुविहासा मेल्लइ तिह तिह सो सविलक्ख पबोल्लइ जिह जिह सा कम्मक्खउ भावइ तिह तिह सो चउपासहिं धावइ जिह जिह सा भावणउ वियप्पइ तिह तिह सो सरजालि पकंपइ जिह जिह सा तच्चत्थु विवेयइ तिह तिह सो महिपडिउ ण चेयइ ॥ घत्ता ॥ . तो अजहे तवणिरवजहे झाणत्थहे विप्फुरियड 14 मुणिअक्खिउ णाणणिरिक्खिउ सुरवइयरु संभरियउ ॥२१॥ XXI. 2. विणु छिदें - मिषांतरं विना; अवग्गउ - स्वाधीनः. 4. ण परिसेसइ - न त्यजतिं. 5. मंतइ - वांछति. 9. दुविहासा - इहपरलोक( + आशा ). II. भावणउ - सा द्वादृशभावना. 13. तवणिरवजहें - तपसः निरवद्यायाः. 14. सुरं - देव. [Kadavaka 21.] I. C. मूल. 2. A. विणुच्छिदें; जीवह अइअवग्गओ; B. च्छिदें; जीवहं इह अवग्गओ; C. विणु छिद्दे; जीवहो अइअवग्गउ. 3. from l. 3 to 1. 12; B. जद जह ...तह तह; C. जह २...तह २ all throughout; A. णं मुत्ति; B. णियमुत्ति; C. सोणिमुत्ति. 4. B. झाणु; तहिं गत्त णिवेसइ. 5 A. रयमुहु; B. पर मंतइ. 6. B. सरीरु संभालह; A. सुसीलु संभासइ; C. ससीलु. 8. A. भाउ पओजइ; B. बहुभाव पउंजइ; C. भाव. 9. A. मेलइ; B. सुविलक्खु; C. सविलक्खु. 10. BC. भावइ A. भासइ; A. चउपासिउ; B. चहुं पासिहिं; C. चउपासहिं. II. B. भावणउं; पिकंपइ for पकंपइ; C. सरजालें कंपइ. 12. C. महि पडिउ इण चेयइ. 13. B. अजहें तवणिरवज्जहें....झाणत्थहे; C. अज्जहिं तबणिरवजहिं झाणस्थिहिं. 14. A. सुरु इयरु वि संभरियउ; C. अखिड़...णिरिखिउ सुर वइयरु संभरियउ,
SR No.002315
Book TitleChakkammuvaeso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Modi
PublisherOriental Institute
Publication Year1972
Total Pages448
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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