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________________ ससहावें जइ तं इत्थ होउ ता तवकिलेसु पिए करइ कोउ विहिजोयइ लद्धउ को सुबुद्धि करिरयणु चयइ मणि मुणहि मुद्धि" अह ताइ पउत्तउ “सुणि णरिंद णियपबलवेरिवारणमइंद खणसुक्खु दुक्खु अइदुण्णिवारु परियाणिउ संसारहो वियारु जाणंतु वि को विसु खाइ मुक्खु परिसेसिउ मइ णरजम्मसुक्खु” पडिवोहिवि खामिवि णिवइ ताइ जिणदिक्ख गहिय सुमहुच्छवाइ ॥ घत्ता॥ गुरु वंदिवि दुक्किउ णिदिवि जिणमइअज्जियपासि ठिय 13 जिणभासिउ सीलविहूसिउ तउ तवेइ उकंठिय ॥१८॥ 8. वारण - हस्ती; मइंद - मृगेन्द्रः. I0. कु मुक्खु - कः मूर्खः; विसु - विष; परिसेसिउ - परित्यक्तः. II. खामेवि - क्षमित्वा; ताइ - मदनावल्या. 12. जिणमइअज्जियपासि - जिनमतीआर्यकापार्श्वे. 6. B. एत्थ. C.होइ...कोइ. 7. A, सुद्धि for मुद्धि; B. विहिजोयई; मुणहिं मुद्धि; C. विहिजोएं... करिरयणु चडिउ मा मुयहि मुद्धि. 8. A. The 8th line is faulty in Ms. A. It is अह ताइ पउत्तउ सुणु णरिंद। जमि पाव दुट्ठ तउ करि णिणासु। B. अह ताएं... । णिय.पवलवेरिवारणमइंद; thus B. entirely rejects the second half of the 8th line of Ms. A.C. ताएं...। एहउ भण तिजइ वर मुणिंद and marginally adds: अणुरायई वइ सुहविराउ । संजोयइ सुट्ट विओयभाउं । जमि पावदुट्ठ तव करि णिणासु. In the right margin of Ms.C. तउ करेवि निब्भा पडमि पाउ दुम अणुरायई वट्टइ सुह विराउ. Thus there being a confusion in the texts of A. and C., the intelligible reading of B. is taken in though it is doubtful to fix the correct text. 9. A. खणसुक्खु दुक्खु अइदुण्णिवारु; B. सुक्खेण दुक्खु अइदुण्णिवारु...परियाणिउं. C. सुखेण दुक्खु; परियाणि उं. I0. A. विसुक्खाइ दुक्खु; B. जाणतु वि को विसु खाई मुक्खु...; मई for पइ in A.; C. जाणंतु को कि विसु खाइ मुक्खु; मई. C. gives an additional line in the margin: अह मुणिवि सयललोयहो समुखु परिचत्तिउ मई संसार सुखु । II. A. पडिवोहविः सुमुहुच्छवाइ; B. पडिवोहेवि खामेवि णिवइ ताएं; C. पडिवोहिवि खामेवि...ताएं; सुमहुच्छवाएं. 12. A. ट्ठिय. B. वंदेवि; शिंदेवि; अजहें; C. वंदिवि; अज्जईि. 13. A. उक्कंट्टिय.
SR No.002315
Book TitleChakkammuvaeso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Modi
PublisherOriental Institute
Publication Year1972
Total Pages448
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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