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कोटिशः वन्दन
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सम्पूर्ण विश्व में अद्वितीय, श्रो जिनशासन में रहस्यभूत, परमतत्त्व, परम अर्थ, परमपवित्र, परमश्राराध्य, सर्वदा विजयवन्त, महामन्त्र स्वरूप, समस्त ऋद्धि-सिद्धि-समृद्धिप्रदायक, एवं सर्वकार्यसाधक, मनोवांछितपूरक, तथा सर्वदा वन्दनीय-पूजनीय ऐसे श्री सिद्धचक्रभगवन्त को मेरा सदा कोटिश: वन्दन ।
-विजय सुशीलसूरि