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卐। तिजयविजयचक्कं सिद्धचक्कं नमामि ।। )
।। ऐं नमः ।। 4 ।। सद्गुरुभ्यो नमः ।।
श्रीसिद्धचक्र-नवपद
स्वरूपदर्शन
श्रीसिद्धचक्र-नवपद की आराधना
किसलिए ? यस्य प्रभावाद् विजयो जगत्यां,
सप्ताङ्गराज्ये भुवि भूरिभाग्यम् । परत्र देवेन्द्रनरेन्द्रता स्यात्,
तत् सिद्धचक्र विदधातु सिद्धिम् ॥१॥
अर्थ-जिसके प्रभाव से इस लोक में विजय तथा पृथ्वी पर पुण्य की पराकाष्ठारूप सप्तांग राज्य की प्राप्ति होती है, परभव में इन्द्रत्व और चक्रवत्तित्व प्राप्त होता है, ऐसा सिद्धचक्र (मुझे) सिद्धि याने मुक्ति-मोक्ष प्रदान करे । [अर्थात् मुझे मोक्ष का शाश्वत सुख देने वाला हो] ।।१।।
श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-१