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म० श्री ने तखतगढ़ में अंजनशलाका एवं प्रतिष्ठा महोत्सव के उपलक्ष में श्रीसंघ के अनन्य उत्साहपूर्वक गाजे-बाजे के साथ भव्य प्रवेश किया। प्रतिदिन व्याख्यानादिक का कार्यक्रम चलता था।
(२) महा (पौष) वद ६ सोमवार दिनांक २३-१-८४ को तखतगढ में नूतन श्री सोमन्धरस्वामी, श्री पुडरीकस्वामी, श्री गौतमस्वामी, श्री आदिनाथ भगवान की चरण पादुकाएँ तथा श्री ऋषभदेव भगवान का पारस का पट्ट इत्यादि सभी को रथादिक में रखकर बानने-गाजने प्रवेश करवाकर 'श्र आदिनाथ जैन आराधना भवन' में लाये ।
(३) महा (पौष) वद १२ रविवार दिनांक २६-१-८४ को तखतगढ़ में बारह दिन का 'श्री अंजनशलाका प्रतिष्ठा-महोत्सव' प्रारम्भ हा। कुम्भस्थापनादि हए तथा 'श्रीसिद्धचक्र महापूजन'. शा० लादमल, धनरूपचन्द किसनाजी की तरफ से प्रभावना युक्त विधिपूर्वक पढ़ाया गया। प्रतिदिन व्याख्यान, पूजा-प्रभावना, सार्मिक भक्ति तथा रात को भावना आदि का कार्यक्रम चालू रहा।
(४) महा (पौष) वद १३ सोमवार दिनांक ३०-१-८४ को शा० लादमल धनरूपचन्द किसनाजी की तरफ से प्रभावना युक्त पूजा पढ़ाई गई।
(५) महा (पौष) वद १४ मंगलवार दिनांक ३१-१-८४ को शा० शेषमलजी प्रतापचन्दजी की ओर से प्रभावना युक्त पूजा पढ़ाई गई।
(६) महा (पौष) वद •)) बुधवार दिनांक १-२-८४ को भी शा० शेषमल प्रतापचन्दजी की तरफ से प्रभावना युक्त पूजा पढ़ाई गई। (७) महा सुद १ (प्रथम) गुरुवार दिनांक २-२-८४ को
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