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________________ * दीवाली का छठ करने वालों को आज एकासणा प्रसंगे तखतगढ़ श्रीजनसंघ की ओर से प्रभावना में ग्यारह रुपये तथा उपधान कराने वाले की तरफ से एक-एक रुपया दिया गया। आज भी श्रीपंचकल्याणक की प्रभावना युक्त पूजा पढ़ाई गई। * कार्तिक सुद बीज से पू० श्री भगवतीजी सूत्र तथा श्रीविक्रमचरित्र का व्याख्यान चालू रहा। पूज्य मुनिराज श्रीजिनोत्तमविजयजी म० के प्रवचन का लाभ भी प्रतिदिन संघ को मिलता रहा। * कार्तिक सुद तीज के दिन सिरोही से श्री पार्श्व महिला मंडल ने वन्दनार्थ आकर पूजा पढ़ाई । (१३) श्री ज्ञानपंचमी की प्राराधना . कात्तिक सुद ५ (ज्ञानपंचमी) बुधवार दिनांक ६-११-८३ को पूज्यपाद आचार्य म० श्री ने पूज्य श्री भगवतीजी सूत्र के व्याख्यान में ज्ञान पंचमी की महत्ता विषयक प्रवचन वरदत्त-गुणमंजरी दृष्टांत युक्त दिया। दोपहर को शणगारा हुआ, ज्ञान की सन्मुख देववन्दन का कार्यक्रम रहा। (१४) श्री भगवतीसूत्र के प्रथम शतक की पूर्णाहुति कात्तिक सुद १३ शुक्रवार दिनांक १८-११-८३ को परमपूज्य आचार्य गुरुभगवंत ने गीनी आदि पाँच पूजनादि युक्त पूज्य श्री भगवतीजी सूत्र के प्रथम शतक की तथा श्री विक्रमचरित्र की पूर्णा ( 105 )
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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