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प्रासो मास की अोली कराने वाले शा० हीराचन्द लखमाजी की तरफ से श्रीसिद्धचक्र महापूजन विधिपूर्वक पढ़ाया गया। वयोवृद्ध सेवाभावी पूज्य मुनिराज श्री प्रमोद विजयजी म० की श्रीवर्द्धमान तप की चौदमी अोली पूर्ण हुई।
* कात्तिक (प्रासो) वद १ शनिवार दिनांक २२-१०-८३ को ओली करने वाले सभी भाई-बहिनों के पारणे शा० हीराचन्द लखमीचन्दजी की तरफ से हुए। पू. साध्वीश्री शीलगुणा श्री जी म० के भी श्री वर्द्धमान तप की ४६ वीं अोली का पारणा उसी दिन हुआ।
* कात्तिक (आसो) वद २ रविवार दिनांक २३-१०-८३ को पू. साध्वी श्री दिव्यप्रज्ञा श्रीजी म० के श्री वर्द्धमान तप की ४७ वी अोली का पारणा हुआ। इस निमित्ते भैरूबाग में पूज्यपाद आचार्य म० सा० के चतुर्विध संघ युक्त पगला हुए। ___* कात्तिक (आसो) वद ३ सोमवार दिनांक २४-१०-८३ को उदयपुर से बसों द्वारा यात्रार्थ निकले हुए २५० भाई-बहिन पूज्यपाद प्राचार्य म० सा० की वन्दनार्थ आये। उनमें से श्री दौलतसिंहजी गांधी तथा श्री भगवतसिंहजी महेता दोनों संघवीजी को अब तीर्थ-यात्रार्थ पैदल संघ निकालने की प्रतिज्ञा प० पू० प्राचार्य गुरु महाराज सा० ने करायी।
(११) श्री दीवाली पर्व की आराधना
कात्तिक (प्रासो) वद.)) शुक्रवार दिनांक ४-११-८३ को श्री महावीर स्वामी का निर्वाणकल्याणक दिन होने से व्याख्यान में 'श्री दीवाली पर्व का माहात्म्य' श्रवण करने का लाभ श्रीसंघ को मिला। श्री दीवाली पर्व के देववन्दन भी विधिपूर्वक हुए ।
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