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________________ क्रम विषय و २९९ ३०२ ३०८ ३१० ३११ ३१३ ३१३ س ३१८ - सम्यक् तप की उपमाएँ - तप से लाभ तप पद का नमस्कारात्मक वर्णन - तप पद की आराधना का उदाहरण - तप पद पाराधक की भावना - तप पद का प्रयोजन १७. श्री नवपद का नमस्कारात्मक वर्णन १८. श्री सिद्धचक्र नवपद का समूह रूपे वर्ण विचार १६. श्री नवपद जी और उनके वर्ण २०. श्री नवपद की संकलना २१. श्री नवपद आराधना का फल २२. श्री नवपद के प्रभाव से वाञ्छित वस्तु की प्राप्ति २३. तप करने योग्य कौन है २४. तप ही विधेय है २५ तप की प्रशंसा २६. तप की पूर्णाहुति में उद्यापन २७. उपसंहार २८. परिशिष्ट खण्ड س ३२४ ३२४ ३३१ س سہ لسل الله ___ ३३३ ३३४ १-१२० ( २३ )
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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