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श्री मंगल दोवो
दीवो रे दीवो प्रभु मंगलिक दीवो, आरती उतारीने बहु चिरंजीव || दी ० १ ।। सोहामणु घेर पर्व दीवाली, अंबर खेले अमरा बाली || दी० २ ।। दीपाल भणे एणे कुल अजुवाली, भावे भगते विघन निवारी || दी ० ३ || दीपाल भणे एणे ए कलिकाले, आरती उतारी राजा कुमारपाले || दी० ४ ।। श्रम घेर मंगलिक तुम घेर मंगलिक, मंगलिक चतुविध संघने हो जो ।। दी० ५ ।।
दसवाँ दिन
पाररणा के दिन की विधि
पार के दिन कम से कम बियासणे का पच्चक्खाण करके हमेशा मुताबिक प्रतिक्रमण, पडिलेहन, देववंदन, वासक्षेपपूजा, गुरुवंदन इत्यादि करके स्नानादि करके स्नात्र तथा सत्तरभेदी पूजा
पढ़ाना
जाप
“ॐ ह्रीं श्री विमलेश्वर देव चक्रेश्वरी देवी पूजिताय श्री सिद्धचक्राय नमः" नवकारवाली २० । काउसग्ग 8 लोगस्स का । स्वस्तिक । खमासमण ६ । प्रदक्षिणा
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