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॥ दोहा ॥
महा विदेहे सम्प्रति, विहरमान जिन वीश । भक्ति भरे ते पूजिया, करो संघ सुजगीश ॥ ७ ॥ नमोर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधुभ्यः ।
|| ढाल ||
अपच्छर मंडलि गीत उच्चारा, श्री शुभवीर विजय जयकारा । कुसुमांजलि मेलो सर्व जिरिंगदा, सिद्ध स्वरूपी० ।। ७ ।।
|| मन्त्र ||
ॐ ह्रीं श्रीं परम पुरुषाय परमेश्वराय जन्म जरा मृत्यु निवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय कुसुमांजलि यजामहे स्वाहा ।। ७ ।।
फिर तीन प्रदक्षिणा देकर, तीन खमासमरण देकर जगचिंतामरिण से लेकर सम्पूर्ण जयवीयराय तक चैत्यवन्दन करना । बाद में हाथ धोकर पंचामृत का कलश हाथ में लेकर प्रभु के जीमणी तरफ खड़े रहना । पंखा, चंवर, दर्पण, धूप, दीपक, जल का कलश तथा राखडी आदि तैयार रखना ।
।। अथ कलश || दोहा ||
सयल जिनेसर पाय नमी, कल्याणक विधि तास । वर्णवता सुणता थका, संघनी पुगे प्रश ॥ १ ॥
।। ढाल ।।
समकित गुण ठाणे परिणम्या, वलि व्रत घर संयम सुख रम्या । वीश स्थानक विधिये तप करी, ऐसी भाव दया दिल मां धरी ॥ १ ॥
परिशिष्ट-5
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