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________________ ३१. उपाध्याय वैयावृत्य स्वरूप श्री तपसे नमः । ३२. स्थविर साधु वैयावृत्य स्वरूप श्री तपसे नमः । ३३. तपस्वी साधु वैयावृत्य स्वरूप श्री तपसे नमः । ३४. लघु शिष्यादि वैयावृत्य स्वरूप श्री तपसे नमः । ३५. ग्लान साधु वैयावृत्य स्वरूप श्री तपसे नमः । ३६. समनोज्ञ सामाचारी कारक वैयावृत्य स्वरूप श्री तपसे नमः । ३७. श्रमण संघ वैयावृत्य स्वरूप श्री तपसे नमः । ३८. चांद्रादिकुल वैयावृत्य स्वरूप श्री तपसे नमः । ३६. कौटिकादि गरण वैयावृत्य स्वरूप श्री तपसे नमः । ४०. वाचना स्वाध्याय स्वरूप श्री तपसे नमः । ४१. पृच्छना स्वाध्याय स्वरूप श्री तपसे नमः । ४२. परावर्तना स्वाध्याय स्वरूप श्री तपसे नमः । ४३. अनुप्रेक्षा स्वाध्याय स्वरूप श्री तपसे नमः । ४४. धर्म कथा स्वाध्याय स्वरूप श्री तपसे नमः । ४५. प्रार्त्त ध्यान निवृत्ति ध्यान स्वरूप श्री तपसे नमः । ४६. रौद्र ध्यान निवृत्ति ध्यान स्वरूप श्री तपसे नमः । ४७. धर्म ध्यान प्रवृत्ति ध्यान स्वरूप श्री तपसे नमः । ४८. शुक्ल ध्यान प्रवृत्ति ध्यान स्वरूप श्री तपसे नमः । ४६. बाह्योत्सर्ग स्वरूप श्री तपसे नमः । ५०. अभ्यंतरोत्सर्ग स्वरूप श्री तपसे नमः । ( 30 )
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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