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________________ ।। दोहा ।। ध्याता आचारज भला, महा मंत्र शुभ ध्यानीरे। . पंच प्रस्थाने आतमा, आचारज होय प्राणीरे ॥ वीर० ॥ १. श्री प्रतिरूपगुण विभूषिताय श्री प्राचार्याय नमः । २. श्री तेजस्विता गुण विभूषिताय श्री प्राचार्याय नमः । ३. श्री युगप्रधानागम गुण विभूषिताय श्री आचार्याय नमः ४. श्री मधुर वाक्य गुण विभूषिताय श्री प्राचार्याय नमः । ५. श्री गाम्भीर्य गुण विभूषिताय श्री प्राचार्याय नमः । ६. श्री धैर्य सुबुद्धि गुण विभूषिताय श्री प्राचार्याय नमः । ७. श्री उपदेश तत्परता गुण विभूषिताय श्री प्राचार्याय नमः ८. श्री अपरिश्रावि गुण विभूषिताय श्री प्राचार्याय नमः । ६. श्री सौम्य प्रगति गुण विभूषिताय श्री प्राचार्याय नमः । १०. श्री संग्रहशीलता गुण विभूषिताय श्री प्राचार्याय नमः । ११. श्री अभिग्रह गुण विभूषिताय श्री प्राचार्याय नमः । १२. श्री अविकत्थक गुण विभूषिताय श्री प्राचार्याय नमः । १३. श्री अचपलता गुण विभूषिताय श्री प्राचार्याय नमः । १४. श्री प्रशांतहृदय गुण विभूषिताय श्री आचार्याय नमः । १५. श्री क्षमाधर्म गुण विभूषिताय श्री प्राचार्याय नमः । १६. श्री मार्दवधर्म गुण विभूषिताय श्री प्राचार्याय नमः । १७. श्री आर्जवधर्म गुण विभूषिताय श्री प्राचार्याय नमः । ( 8 )
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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