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________________ ( ५४३ ) जाग्रति हो, ३. प्रचला अर्थात् बैठे- बैठे सोते रहें अथवा खड़े खड़े निद्रा लें । ४. प्रचलाप्रचला, अर्थात् चलते चलते नींद आ जाय और ५. स्त्यानद्धिवासुदेव से आधे बल वाली और दिन में चिन्तन किए कार्य को नींद में रात्रि को करने वाली होती है । (१४६-१५०) स्त्याना संघातीभूता गृद्धिः दिन चिन्तितार्थ विषयातिकांक्षा यस्यां सा स्त्यान गृद्धिः इति तु कर्मग्रन्थावचूर्णौ ॥ कर्मग्रन्थ की अवचूरी में कहा है - स्त्यानर्द्धि (स्त्यान + ऋद्धि) के स्थान पर ‘स्त्यानगृद्धि' शब्द का उपयोग किया है। स्त्यन अर्थात एकत्रित किया हुआ और गृद्धि अर्थात् दिन में चिन्तन की बात की अत्यन्त आकांक्षा, जो नींद में दिन चिन्तन किए अर्थ का अत्यन्त . आकांक्षा से आचरण करे उस निद्रा को स्त्यान गृद्धि निद्रा कहते हैं । आद्य संहननापेक्षमिदमस्यां बलं मतम् । अन्यथा तु वर्तमान युवभ्योऽष्टं गुणं भवेत् ॥१५१॥ इस नींद में इतना बल जो कहा है वह पहले संघयण वाले मनुष्य की अपेक्षा से कहा है, अन्यथा तो वह वर्तमान काल के युवक के बल से आठ गुणा समझना । · "अयंकर्मग्रंथवृत्ताद्यभिप्रायः । जीतकल्पवृत्तौ तु । यदुदये अतिसंक्लिष्ट परिणामात् दिनदृष्टमर्थं उत्थाय प्रसाधयति केशवार्ध बलश्च जायते । तदनुदयेऽपि च स शेषपुरुषेभ्यः त्रिचतुर्गुणो भवति । इयं च प्रथम संहनिन एव भवति । इति उक्तमस्ति । इति ज्ञेयम् ॥" 1 " यह बात कर्मग्रन्थ की वृत्ति के अभिप्राय से कही है । जीवकल्प की वृत्ति में तो यह कहा है कि- जिसका उदय होता है वह मनुष्य अतिसंक्लिष्ट परिणाम से उठकर दिन में देखा हुआ कार्य छोड़ देता है वह स्त्यानर्द्धि निद्रा है। उस निद्रा में मनुष्य के अन्दर वासुदेव से आधा बल होता है । इस निद्रा का उदय न हो तो ऐसी निद्रा वाले मनुष्य में सामान्य मनुष्य से तीन चार गुणा बल आता है । यह निद्रा प्रथम संघयण वाले को ही होती है ।" दर्शनानां हन्ति लब्धि मूलादाद्यं चतुष्टयम् । लब्धां दर्शन लब्धि द्राक् निद्रा निघ्नन्ति पंच च ॥१५२॥ प्रथम चार दर्शनावरण हैं वे दर्शन की लब्धि का मूल से विनाश करते हैं और पांच निद्रा हैं, वह प्राप्त हुई लब्धि का सत्वर नाश करती हैं । (१५२)
SR No.002271
Book TitleLokprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages634
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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