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क्र० विषय
श्लोक
सं०
श्लोक | क्र० विषय सं० सं०
सं० २५ स्थलचर जीवों के विषय में ७० (मनुष्य) २६ चतुष्पद जीवों के विषय में ७२ २ मनुष्यों के दो प्रकार - १ २७ परिसर्प जीवों के विषय में ७८ ३ सम्मूर्छिम मनुष्यों के ३७ द्वार २ २८ खेचर जीवों के विषय में
भेद के विषय में २६ स्थान के विषय में १०६ ४ स्थान, पर्याप्ति के विषय में ५ ३० पर्याप्ति के विषय में . ११० ५ योनि, संख्या, कुल संख्या तथा ८ ३१ योनि, संख्या और कुल संख्या ११४ योनि स्वरूप के विषय में के विषय में
भव स्थिति, काय स्थिति ३२ योनि संवृतत्व
११७ ७ शरीर, संस्थान, देहमान, १० ३३ - भव स्थिति . १२१ समुदघात के विषय में ३४ काय स्थिति
गति, आगति के विषय में ११ ३५ शरीर, संस्थान, तथा देहमान १३८ अनन्तराप्ति तथा समय सिद्धि १३ के विषय में
के विषय में ३६ समुदघात, गति के विषय में १४८ .१० दृष्टि, ज्ञान आदि द्वारों के १५ ३७ आगति के विषय में १६४ . विषय में ३८ अन्तराप्ति , समयसिद्धि आदि १६६ ११ आहार-गुण आदि के विषय में १६ - (द्वार-१५-२३)
१२ प्रमाण के विषय में १८ ३६ वेद के विषय में :
१३ अल्प-बहुत्व आदि के विषय में २१ ४० दृष्टि, ज्ञान, दर्शनादि के विषय १७५ १४ गर्भज मनुष्यों के द्वारों के विषय में (द्वार-२५-२७)
२२ ४१ उपयोग के विषय में . १७६ १५ भेद के विषय में ४२ आहार के विषय में
१६ साढ़े पच्चीस आर्य देशों के नाम २७ ४३ गुण स्थानक और योग के १८४ १७ मुख्य नगरिओं के नाम ३१ ____ विषय में
१८ आर्य और अनार्य के लक्षण ३६ ४४ प्रमाण के विषय में . १८५ १६ स्थान के विषय में ४५ अल्प-बहुत्व, दिगाश्रयी, अल्प १६२ २० पर्याप्ति आदि द्वारों के
विषय में (३-७) ४६ अन्तर के विषय में १६५ | २१ कायस्थिति आदि द्वारों के सातवां सर्ग
विषय में (८-१२) १ पंचेन्द्रिय जीव के दूसरे प्रकार १ । २२ गति द्वार के विषय में
२२
बहुत्व के विषय में