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(xxvi)
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| सं०
सं०
२०४
क्र० विषय श्लोक | क्र० विषय श्लोक |
सं० सं० १३ सिद्ध पाये जीवो के समय श्री १३३ | २० तैजस शरीर के अवगाहना प्रमाण
के विषय में १४ सिद्ध का अलपत्व-बहुत्व १४१ / २१ विस्तृत वास्तविकता १३४ १५ सिद्धके अनन्त सुख १४३ | २२ . विविध शरीर की विशेष १६ सिद्ध के सुख परत्वे दृष्टान्त १५२ स्थिति संख्या का अल्प-बहुत्व तीसरा सर्ग
तथा अन्तर के विषय में .. १८६
२३ संस्थान .. १ संसारी जीवों के स्वरूप
२४ संस्थान के छः प्रकार . २०५ २ जीव के भेद
२५ शरीर का प्रमाण २११ ३ स्थान
२६ समुद्धात . .. २१२ ४ पर्याप्ति
२६ सात प्रकार .. २१५ ५ पर्याप्ति के छः प्रकार
२८ सातवां प्रकार केवली समुद्धात २३७ ६ योनी संख्या
समुद्धात विषय में विशेष २६५ ७ योनी के विविध प्रकार
टिप्पणी ८ मनुष्य योनी का स्वरूप तथा ५६
(१३-१४) गति-आगति २८०प्रकार ६ कुल कोटि की संख्या ६६
३१ (१५-१६) अनन्तराप्ति २८२-२८३ भव स्थिति (एकभव का आयुष्य)६६
एक समय सिद्धि ११ दो प्रकार का आयुष्य
३२ (१७) लेख्या १२ सात प्रकार के आयुष्य के ___७५
३३ लेख्या के छ: प्रकार २६८ विषय में
३४ वर्ण, रस , गंध स्पर्श २६६ १३ जीव पर भव के आयुष्य कैसे ६१
३५ सामान्यतः स्थिति काल ३२६ बांधता है ?
३६ विशेष स्थिति काल ३३५ १४ काय स्थिति
३७ लेख्या परत्वे जम्बू वृक्ष आदि ३६३ १५ शरीर
का दृष्टान्त १६ पाँच प्रकार के शरीर
३८ (१८) आहार की दिशा ३८३ १७ शरीर के विशेष कारण १११
(जीव किस दिशा में आहार ले) १८ शरीर के विशेष प्रयोजन १२२
उस विषय में १६ शरीर के विशेष अवगाहना के १२७
३६ (१६) संहनन (संघयण) ३६८ विषय में
४० छः प्रकार
३६८
१०.