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________________ उपसर्गहरं बृहद्-स्तोत्र ३५ पमुह निसेविय पाया । ॐ क्लीं ह्रीं महासिद्धिं करेइ पास जगनाहो ॥२१।। ॐ ह्रीं श्रीं तं नमः पासनाहं, ॐ ह्रीं श्रीं धरणेन्द्र नमंसियं दुहविणासं। ॐ ह्रीं श्रीं जस्स पभावेण सया, ॐ ह्रीं श्रीं नासंति उवद्दवा बहवे ||२२|| ॐ ह्रीं श्रीं पइ समरंताण मणे, ॐ ह्रीं श्रीं नहोइ वाहि न तं महा दुक्खं ॐ ह्रीं श्रीं नामंपि हि मंतसमं, ॐ ह्रीं श्रीं पयडं नत्थीत्थ संदेहो ॥२३॥ ॐ ह्रीं श्रीं जल-जलण-भय, तह सप्पसिंह, ॐ ह्रीं श्रीं चोरारि संभवे खिप्पं'। ॐ ह्रीं श्रीं जो समरेइ पास पहुं, ॐ ह्रीं क्लीं पुहविकयावि किं तस्स ||२४|| ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ह्रीं इह लोगट्ठी परलोगट्ठी, ॐ ह्रीं श्रीं जो समरेइ पासनाहं ॐ ह्रां ह्रीं ह ह गाँ गी गुं गैं, तं तह सिज्झइ खिप्पं ॥२५|| इह नाह स्मरह भगवंत, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ग्राँ नीj | क्लीं क्ली, श्री कलिकुंड स्वामिने नमः ॥२६|| इह संथुओ महायस, भत्तिब्भर निब्मरेण हियएण। ता देव दिज्ज बोहिं, भवे-भवे पास जिणचंद ॥२७॥ आदिदेव-स्तोत्र सिरि रिसहनाह तुह पयनहकंतीओ जयंतु तिजयस्स। जंतीओ वज्जपंजरभाव भावारिभीयस्स ||१|| तुह कमकमलं विमलं दटुं दुराउ देव पइदिवसं । धन्ना
SR No.002264
Book TitleStotra Ras Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
PublisherSiddhiraj Jain
Publication Year1986
Total Pages148
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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