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गणधरदेव-स्तुतिरूप तंजयउ-स्तोत्र
रम्मो चरित्त-धम्मो, संपाविअ-मव्व सत्त-सिव-सम्मो । नोसेस-किलेसहरो, हवउ सया सयल-संघस्स ||९|| गुणगण-गुरुणो गुरुणो, सिव-सुह-मइणो कुणंतु तित्थस्स । सिरि-वद्धमाण-पहुपय-डिअस्स कुसलं समग्गस्स ||१०|| जिय-पडिवक्खा जक्खा, गोमुह-मायंग-गयमुह-पमुक्खा। सिरि-बंभसंति-सहिआ, कय-नय-रक्खा सिवं दितु ||११|| अंबा पडिहय-डिंबा, सिद्धा सिद्धाइया पवयणस्स । चक्केसरि-वइरुट्टा, संति-सुरा दिसउ सुक्खाणि ||१२|| सोलस विज्जा-देवीओ, दितु संघस्स मंगलं विउलं । अच्छुत्तासहिआओ, विस्सुअ-सुयदेवयाउ समं ||१३|| जिणसासण-कयरक्खा, जक्खा चउवीस सासणसुरा वि । सुहमावा संतावं, तित्थस्स सया पणासन्तु ||१४|| जिण-पवयणम्मि निरया, विरया कुपहाउ सव्वहा सव्वे । वेयावच्च-करावि अ तित्थस्स हवन्तु सन्तिकरा ||१५|| जिण-समय-सिद्ध-सुमग्गवहिय-भव्वाण जणिय-साहज्जो। गीयरई गीअजसो, सपरिवारो सिवं दिसउ ||१६|| गिहगुत्त-खित्त-जल-थलवण-पव्वयवासी देवदेवीओ। जिणसासण-ट्ठिआणं, दुहाणि सव्वाणि निहणंतु ||१७|| दस-दिसिवाला सक्खित्तवालयानवग्गहा स नक्खत्ता । जोइणिराहुग्गह-काल-पासकुलिअद्धपहरेहिं ॥१८॥ सहकाल-कंटएहिं सविट्टि वच्छेहि कालवेलाहिं। सव्वे सव्वत्थ सुह, दिसन्तु सव्वस संघस्स |१९|| भवणवइ वाणमंतर-जोइस-वेमाणिया य जे देवा ।