SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री अजित-शान्ति-स्तोत्र पणमे।।२१।। ( विज्जुविलसिअं) आगया वर-विमाण-दिव्वकणग-रह-तुरय-पहकर-सएहिं हुलिअं। ससंभमोअरणखुमिअ-लुलिअ-चल-कुण्डलंगय-तिरीड-सोहंत-मउलि-माला ॥२२।। ( वेड्डओ ) जं सुर संघा सासुर संघा वेर विउत्ता भत्ति सुजुत्ता, आयर भूसिअ संभम पिंडिअ सुट्ठ सुविम्हिअ सव्व बलोघा। उत्तम कंचण रयण परूविअ भासुर भूसण मासुरि अंगा, गाय समोणय भत्ति वसागय पंजलि पेसिअ सीस पणामा ।।२३।। (रयणमाला) वंदिऊण थोऊण तो जिणं, तिगुणमेव य पुणो पयाहिणं । पणमिऊण य जिणं सुरासुरा, पमुइया समवणाई तो गया ॥२४|| (खित्तयं ) तं महामुणि महंपि पंजली, राग-दोस-भय-मोह वज्जिअं । देव दाणव णरिंद वंदिअं, संति मुत्तमं महातवं णमे ||२५|| (खित्तयं ) अंबरंतर-वियारणिआहिं, ललिअ हंस-बहू गामिणिआहिं। पीण-सोणि-त्थण-सालिणिआहिं, सकल-कमल-दल-लोअणिआहिं ||२६|| (दीवयं) पीण णिरंतर-थणभर-विणमिअ-गाय-लयाहिं, मणि-कंचण-पसि ढिल-मेहल-सोहिअ-सोणि-तडाहिं। वर-खिखिणि-णेउर सतिलय-वलय-विभूसणियाहिं, रइकर-चउर-मणोहरसुंदर-दंसणियाहिं ॥२७॥ (चित्तक्खरा ) देव-सुन्दरीहिं पाय-वंदिआहिं, वंदिआ य जस्स ते सुविक्कमा कमा अप्पणो णिडालएहिं मंडणोड्डण-पगारएहि केहि केहिं वि अवंग-तिलय-पत्तलेह णामएहिं चिल्लएहिं संगयंगयाहिं,
SR No.002264
Book TitleStotra Ras Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
PublisherSiddhiraj Jain
Publication Year1986
Total Pages148
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy