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श्री दादा गुरु गुण इकतीसा
आठ दोय हजारा, आसो तेरस शुक्करवारा । शुभ मुहरत वर सिंह लगन में, पूरण कीनो बैठ मगन में ||२८||
|| दोहा ॥
सद्गुरु का समरण करे, धरे सदा जो ध्यान । प्रातः उठी पहिले पढ़े, होय कोटि कल्याण ||२९|| सुनो रतन चिंतामणि, सत्गुण देव महान् । वन्दन श्रीगोपाल का, लीजे विनय विधान ||३०|| चरण शरण में मैं रह, रखियो मेरा ध्यान । भूल चूक माफी करो, हे मेरे भगवान ॥३१॥