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________________ शत्रुंजय तीर्थ का रास I 1 शांतिनाथनी सुणी देशना, शांतिनाथ सुत सुविचारोजी चक्रधर राय करावियो, ए दशमो उद्धारोजी | से० |११| दशरथ सुत जगदीपतो, मुनिसुव्रत स्वामी बारोजी । श्रीरामचन्द्र करावियो, ए इग्यारमो उद्धारोजी । से० ||१२|| पांडव कहे अम्हे पापीया, किम छुटां मोरी मायोजी । कहे कुंती से जतणी, जात्रा कियां पाप ज़ायोजी | से० ॥१३॥ पांचे पांडव संघ करी, सेत्रु ज भेट्यो अपारोजी । काष्ट चैत्य बिंब लेपना, ए बारमो उद्धारोजी | से० ||१४|| मम्माणी पाषाणनी, प्रतिमा सुन्दर सरूपोजी । श्रीसेत्र, जेनो संघ करी, थापी सकल सरूपोजी | से० ||१५|| अट्ठोत्तर सो वरसां गया, विक्रम नृपथी जिवारोजी । पोरवाड जावड करावियो, ए तेरमो उद्धारोजी | ० ||१६|| संवत् बार तिओत्तरे, श्रीमाली सुविचारोजी वाहडदे मुहते करावियो, ए चौदमो उद्धारोजी | से० ॥१७॥ संवत् तेरे इकोत्तरे, देसलहर अधिकारोजी । समरे साह करावियो, ए पनरमो उद्धारोजी से० ||१८|| संवत् पनर सत्यासीये, वैसाख वदि सुभवारोजी । करमें डोसी करावियो, ए सोलमो उद्धारोजी । से० ||१९|| संप्रति काले सोलमो, ए वरते छे उद्धारोजी । नित नित कीजे वंदना, पामीजे भवपारोजी । से० ||२०|| T I I १२७
SR No.002264
Book TitleStotra Ras Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
PublisherSiddhiraj Jain
Publication Year1986
Total Pages148
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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